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Channel: अनुशील
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ज़िन्दगी...

ज़िन्दगी !तुम्हारी अनुपस्थितिखलती है.वोकहाँ हैकिस  हाल में हैसोच-सोचव्यथित होता है मनइंतज़ार करती हुई आँखेंजगी-जगी जलती हैं.ज़िन्दगीकभी-कभीलम्बे समय तकऐसे भी चलती है.

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जीवन मृत्यु के द्वन्द के बीच प्रार्थनारत चेतना

एक रोज़जीवन खुदस्वयं से हारा थाउसनेअपनी सारी जिजीविषा कोमृत्यु पर वारा था. मृत्युदिखती हो क्रूरपर होती है ममतामयी ही तभी तोहारे हुए जीवन कोअंक से लगायाप्यार से सर पर हाथ फेरसमझाया--ये मुझसे मिलने की...

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कुछ पड़ाव, कुछ शब्द चित्र

रेलधीरे धीरेबढती है गंतव्य की ओरकितने ही दृश्ययादों में संजोनेयादें,जिनका होना है,न कोई ओर न छोरबस भागते हुए ही बीतनी है रातेंभागते हुए ही होती है भोरकभी तो ठहर, ज़िन्दगी!किसी ठौर***हर पड़ाव से बढ़ते...

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अनायास ही

एक भाव अवस्था होती हैएक होती है कवितादोनों एक साथ घटित हुएतो अविरल धारा प्रस्फुटित होती हैकितने ही अनकहे प्रश्नों केविम्ब खुलते हैंउत्तर मिलते हैं.एक होता है मौनएक होता है संवादएक होती है मौन में...

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यूँ ही... यूँ हो...

हम रूंधे हुए गले सेकह रहे होंऔर तुम्हारी आँखों सेअविरल आंसू बह रहे  हों इससे आदर्शकोई स्थिति हो तो बताओस्मृति कुंजों सेऐसी भावदशा ढूंढ लाओ. धारा के समानबह रहे होंशब्द तरंगों कोतह रहे हों इस तरहपर्वत के...

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जीवन, यात्रा और हम

कभी राह मेंछूट गयेकभी उसे छोड़ दियाजीवन को'यात्रा'नाम दियाऔर अनिश्चितताओं से जोड़ दियाचलते रहे जो अनवरतउठते-गिरते, गिरते-उठतेराहों ने खुद-बखुद कभी यूं भी सुखद मोड़ लियापड़ाव के मोह से बन्धता तो था मनपर...

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आधे-अधूरे ख़्वाबों में...

कितने ही प्रश्न थेअनुत्तरित ही रहे लेकिनजो कुछ सीखा हमनेउनसे ही सीखा जिनके उत्तर कभी नहीं मिलेजीवन उन प्रश्नों में मुस्कुराया हमने आधे-अधूरे ख़्वाबों में नवजीवन का अद्भुत अंकुरण पाया वहीँ सेएक किरण...

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सुप्रभातम्! जय भास्करः! १६ :: सत्य नारायण पाण्डेय

पापा से बातचीत :: एक अंश---------------------------------अभी पितृपक्ष चल रहा है! ब्राह्मणों के दान ग्रहण करने और ऐसा करने के परिणाम दुष्परिणाम से सम्बंधित कई कुतर्क एवं भ्रांतियों को लेकर एक सहज सी...

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सुप्रभातम्! जय भास्करः! १७ :: सत्यनारायण पाण्डेय

पापा से बातचीत :: एक अंश---------------------------------Dr. S.N.Pandeyसुप्रभातः सर्वेषां !!कस्याऽपिलघुवृहद्वाकार्यस्य कारकाः शीमद्भाग्वद्गीतानुसारमेवंविधम्:-अधिष्ठानं तथा कर्ता...

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जी ही लेते हैं न...

अभिशप्त होते हैं कुछ मनवेदना की अतल गहराईयों मेंगोते लगाने के लिए कितने ही अच्छे मन सेकुछ करने जायेंबुरा ही पाते हैं परिणाम कुछ प्रारब्ध के ही ऐसे होते हैं विधान !बड़ी मुश्किल सेकहीं से अर्जित की गयीएक...

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हम अभिशाप थे या वरदान रहे

सुनोप्रेम की गली जो आये  होतो ज़रा ध्यान रहे आँखों में चमकताजो पानी होउसमें भाव रूप बलिदान रहे इस बात सेअनजाने  हों किहम अभिशाप थे या वरदान रहे किबस होना ही काफ़ी है अकारण होता है प्रेम तर्क वितर्क की...

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ऊँ अक्षरब्रह्मणे नमः! १ सत्यनारायण पाण्डेय

पापा से बातचीत :: एक अंश-----------------------------------------ऊँ अक्षरब्रह्मणे नमः! अक्षरसमेलनेन ब्रह्मरूपशब्दाय नमः!आज प्रचलन में कई ऐसे शब्द हैं, जो व्युत्पत्तिलभ्यार्थ से भिन्न रूढ अर्थ मे...

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बदलते परिदृश्यों में निहित आस किरण

उड़ते हुए आसमानऔर उस पर टंके हुएटिके हुए सपनों के सितारेभागते बादल की छाँवपल भर का ठहराव बदलते दृश्यजीवन की सकल रश्मियाँ तत्वतः अस्पृश्य कहते हुए रुक जानाचलते हुए लौट आनाअनमना सा हर परिदृश्य ऐसे में हम...

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सुप्रभातम्! जय भास्करः! १८ :: सत्यनारायण पाण्डेय

पापा से बातचीत :: एक अंशहिंदी दिवस :: कुछ तथ्य, कुछ भाव ------------------------------------------आज १४ सितम्बर "हिन्दी दिवस"के रूप में लगभग ६६ वर्ष पूर्व संविधान सभा में (आज के ही दिन) तय किया गया था...

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कुछ कतरनें :: बियाबान में चलते-चलते

ऐसे कैसे सीधी सरल रहती,वक्र हो गयी,ये खुद से ही है हारी दुनियागलती हमारी ही होगी,जाने क्या हुआ,रहने लायक रही नहीं हमारी दुनिया !!***जिसकीखो गयी हो चाभी,वो ताले रो गएरिश्तों के बियाबान में...

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ऊँ अक्षरब्रह्मणे नमः! २ सत्यनारायण पाण्डेय

पापा से बातचीत :: एक अंश-----------------------------------------ऊँ अक्षरब्रह्मणे नमः! अक्षरसमेलनेन ब्रह्मरूपशब्दाय नमः! अभिवादन सर्वेषां शब्दब्रह्मजिज्ञाषुणां कृते। अक्षर सानिध्येन सार्थक शब्दाः...

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इस पाठशाला में

जीवनक्या कुछ नहीं सिखाता हैइस पाठशाला मेंहर अच्छा-बुरा अनुभवकंठस्थ हो जाता हैआँखों सेबहते आंसू की व्यथाकितना कुछ कहती है बूंदों मेंजीवन कीसम्पूर्ण कथा रहती है उन बूंदों से हीसृजित होनी हैमुस्कान वे...

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ऊँ अक्षरब्रह्मणे नमः! ३ सत्यनारायण पाण्डेय

पापा से बातचीत :: एक अंश-----------------------------------------ऊँ अक्षरब्रह्मणे नमः!सभी सुधीजनों को नमस्कार!शब्द , शब्दार्थ, व्यवहारिक परिवेश के संन्दर्भ में कुछ दैनन्दिन जीवन से जुड़े शब्दों का...

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मन आकंठ भरा रहता है

कहीं कोईबस एक किरण होजीवन का सकल अन्धकारथमा रहता है ज़िन्दगीहौले से मुस्कुरा देती हैदिया अपनी शक्ति भरख़रा रहता है आने जाने वालेनहीं जानेंगे कभीये जो रास्ता है नइसका मन आकंठ भरा रहता है कि राही के दर्द...

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या देवी सर्वभूतेषु... !! १ :: सत्यनारायण पाण्डेय

सुप्रभातम्! मंगलकामना !महालया (पितृ विसर्जन) के उपरान्त मां नवदुर्गा की आराधना के लिए नवरात्रि की सबों को हार्दिक शुभकामनाएँ !कल आश्विन शुक्लपक्ष प्रतिपदा से कलश स्थापन पूर्वक मां दुर्गा की विधिवत...

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