$ 0 0 सुनोप्रेम की गली जो आये होतो ज़रा ध्यान रहे आँखों में चमकताजो पानी होउसमें भाव रूप बलिदान रहे इस बात सेअनजाने हों किहम अभिशाप थे या वरदान रहे किबस होना ही काफ़ी है अकारण होता है प्रेम तर्क वितर्क की नहीं यहाँ कोई झांकी है बस होना ही काफ़ी है !!