$ 0 0 अभिशप्त होते हैं कुछ मनवेदना की अतल गहराईयों मेंगोते लगाने के लिए कितने ही अच्छे मन सेकुछ करने जायेंबुरा ही पाते हैं परिणाम कुछ प्रारब्ध के ही ऐसे होते हैं विधान !बड़ी मुश्किल सेकहीं से अर्जित की गयीएक कतरा मुस्कान हो जाती हैक्षण भर में अंतर्ध्यान बहते आँसू फिरएक मात्र सहारा होते हैंज़िन्दगी की इन राहों में वे नहीं सिमटतेअभिशप्त मन बहती धारा होते हैं किवे अभिशप्त हैं ऐसा होने के लिएआँखें बनी ही हों जैसे विडम्बनाएं देखनेऔर आहत हो रोने के लिए इतना होते हुए भी जी ही लेते हैं न कि अभिशप्त हैं जीने के लिए !!