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Channel: अनुशील
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जी ही लेते हैं न...

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अभिशप्त होते हैं कुछ मन
वेदना की अतल गहराईयों में
गोते लगाने के लिए 


कितने ही अच्छे मन से
कुछ करने जायें
बुरा ही पाते हैं परिणाम 


कुछ प्रारब्ध के ही ऐसे होते हैं विधान !


बड़ी मुश्किल से
कहीं से अर्जित की गयी
एक कतरा मुस्कान 


हो जाती है
क्षण भर में अंतर्ध्यान 


बहते आँसू फिर
एक मात्र सहारा होते हैं
ज़िन्दगी की इन राहों में वे नहीं सिमटते
अभिशप्त मन बहती धारा होते हैं 


कि


वे अभिशप्त हैं 

ऐसा होने के लिए
आँखें बनी ही हों जैसे विडम्बनाएं देखने
और आहत हो रोने के लिए 


इतना होते हुए भी
जी ही लेते हैं न 


कि अभिशप्त हैं जीने के लिए !!


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