आँचल में सिमटे यात्रा के फूल
यात्रारत हैं सभीभागते बादलगति की व्याख्या हैंपर्वत की अपनी यात्रा हैअचल खड़ा वहकितने ही फूलों का घर हैकितने ही हरेपन का गेह है वहहमने देखासाक्षात नेह है वह!स्वीटज़रलैंड, २०१७
View Articleकितने-कितने छल
रिश्तों में इतना छल हैनिहित स्वार्थों का पूरा दल-बल हैऐसे में चल ज़िन्दगी तू कैसे चलती हैहर क्षण यहाँ प्रतिबद्धताएँ बदलती हैंआँखों में जो पानी है उसकी अलग कहानी है नसों में दौड़ते लहू की थिरकन थम जाती...
View Articleपीड़ा का अर्थशास्त्र
मृत्युतुल्य कष्टों काएक अंतहीन सिलसिला हैज़िन्दगी!तू बस दुःख-दर्द कीएक अदद शृंखला हैइस शृंखला के बिनातुम तुम नहीं हो और हम भी हम नहीं किदुःख हीहमसे हमारी पहचान कराते हैं!प्रार्थना में बहते आँसू के मूल...
View Articleसमझावन के कितने मंत्र
ख़ुद को ओढ़ाख़ुद को ही बिछा लियाअपना कंधा ही था रोने के लिएउसी को आधार कियाइस तरह हमने रात के समंदर को पार कियाजब बहुत अकेला पाया ख़ुद कोस्वयं ही अपने मन को हृदय से लगा लियासमझावन के अपने गढ़े हुए...
View Articleजून की आख़िरी शाम
धूप उतर रही थी भीतरबाहर उमस भरी छाँव थी सब अपनी तरह सेअपनी-अपनी दिशा मेंगतिमान थे वक़्त कहीं ठहर गया थावैसे ही जैसे पेड़ों की डालियाँ अनासक्त स्थिर सी थीं हवा थमी हुई थी ऐसे में जो दीप जलाते तो एक ही...
View Articleउचटे हुए समय में
सुबह की उजासकुछ मौन प्रार्थनाएँ प्रतिबिंब में परिलक्षित स्पंदनतट पर बैठे जीवन कीघोर यातनाएँ सबचलते कदमथाह रहे हैंउचटे हुए समय में भीजो विशुद्ध प्रवाह रहे हैं !
View Articleआत्मालाप
ज़िन्दगी नेनग्न सत्य दो टूक शब्दों मेंकह दियामन-वचन-कर्म सेहमें और भी विपन्नकर दिया हमवास्तविकता देख-सुन बिफर गएमन-प्राण ठगे से थेजाने सारे मूल्यकिधर गए ऐसे मेंहमें टूटता देखज़िन्दगी ने ही...
View Articleरिश्तों के बियाबान में लहुलूहान चेतना
अभी शोक में हूँ।हर रिश्ते की एक उम्र होती हैउसके बाद उसका मरना तय हैमैंने ऐसे कई मरे हुए रिश्तों का श्राद्ध किया है अभी शोक में हूँ।---शोक कैसा?!हर रिश्ताएक रोज मर ही जाता हैभले कितना ही अनन्यक्यों न...
View Articleएक जीवन यात्रा और उसमें कितनी यात्राएँ
अटक जाती है साँस कभीकभी जीवन भी अटक जाता हैअटकी हुई बात कोईघुटन हो कंठ में ही नहीं रोम-रोम जब रुदन हो ऐसे मेंबस बेवजह कहीं भटक पाने कीसहूलियत दे ज़िन्दगी और इस बेवजह मेंकोई वजह निकल आएयात्रारत चेतना...
View Articleदुःख का अंधकार ठहरा ही रहेगा!
टिमटिमाती रौशनीगुजरता हुआ सुख हैफैला अंधकारठहरा हुआ दुःख हैइस अंधकार मेंदीप जलाने कोमाचिस की तीली टटोलता मनआस-विश्वास की ओर उन्मुख हैठहरे हुए पानी मेंकंकड़ फेंकजैसे हलचल कर जाते हैं अनजाने ही अबोध...
View Articleसागर की बाहों में असंख्य लहरें हैं
सागर की बाहों मेंअसंख्य लहरें हैंऊपर से है शांत भलेभीतर घाव गहरे हैंवो लहरों का बार-बारकिनारों से टकरानाउनका हुनर हैवे भी जानती हैंकि उनकी गति परअसंख्य पहरे हैं अपनी सीमा में ही रहकरछू लेंगी आसमाननिखर...
View Articleबारिश होगी
पेड़ों का होना हरेपन के नये अर्थ गढ़ेगापहाड़-सी उलझनें धुल जाएँगीबारिश होगी।सौंधी मिट्टी की ख़ुशबू में जीवन ढ़लेगाबंजर भूमि की सकल दरिद्रताएँ भुल जाएँगीबारिश होगी।गगन मही के ललाट की लकीरें पढ़ेगा दुःख...
View Articleअँधेरे में
हर वो शक्तिजिसे बाती होने का गौरव हासिल हैउसे प्रणाम हैजलना ही होगाकि चहुँ ओर अँधेरा बहुत हैआख़िर जलना बातियों के ही नाम है
View Articleटूटन का सौंदर्य
टूट-फूट का भी अपना सौंदर्य हैअवशेष अपने आप में काव्य हैजिन्हें ज़िंदगी ने ख़ूब तोड़ा है क़दम-क़दम परवे बेहतर समझते है जीवन का मर्म ऐसे ही लोगों का एक छोटा सा कुनबा होता हैजो लोगों की राह के काँटें...
View Articleआह
डूबता रहा मनभींगता रहा मनहर बारबार-बारज़िन्दगी की थाह में!यूँ हीउठते-गिरते चलते रहे हमकभी मुस्कान लिए आँखों मेंकभी लिए हुए आँखें नमपथरीली जीवन राह में!रिश्तेऔर रास्तों केसारे समीकरणसिमट आयेअपनी एक कराह...
View Articleआभास
दर्ददामनहौसलादुआ--अभी-अभीयहाँ से होकरगुज़री है ज़िन्दगी!सूनापनविरक्तिसंशयसमाधान--अभी-अभीइस ठौरठहरी है ज़िन्दगी!प्रार्थनाएँठोकरेंठेसअट्टहास-- कुछ नहीं सुनतीअपनी धुन में चली जाती हैबहरी है ज़िन्दगी?!
View Articleसुख है!
इतना वृहद है दुःखइतने सारे हैं दुःखकि अपना दुःख बहुत छोटा हो जाता है दुःख रचा नियति नेतो दुःख को आसमान-सा ऐसा विस्तार दियाकि ये सबके हिस्से आया जैसे सबका अपना-अपना आसमानवैसे सबके अपने-अपने दुःख इस...
View Articleलिखना आश्वस्ति है!
कुछ तो बात होगीकि अपनी बेचैनियों का हलहम कविताओं में जीते हैंघूँट-घूँटआँसूआँखों से रीते हैं! लिख लेनाकितनी ही बारअपने आप में ही हल होता हैकई बार हमलिखते हुएअंधकार से जीते हैं!चलते हुएसमाधानराहों में...
View Articleआने वाले कल के लिए
येअनिश्चित-सेकाश और शायद सरीखे शब्दों की ही महिमा हैकि हम चलते चले जाते हैंउन मोड़ों से भी आगेजहाँ से आगे की कोई राह नहीं दिखती ये शब्द सम्भावनाओं का वो आकाश हैंजो घिरे हुए बादलों के बीच भीचमक उठते...
View Articleमन मौसम
बूँदो का मोक्ष हैबारिशबादलों केमिट जाने की चाह की पुष्टि हैबारिशआकाश का अलंकारऔर धरती का संस्कार है बारिशदुःख की सपाट राह मेंसुख की जरा सी नमी है बारिश।
View Articleसुख है
एक बूँद आँसू एक व्यथा समंदर भर एक क्षण की कोई बात जो न भूले मन जीवन भर ऐसे कैसे-कैसे घाव समेटे हम जीते हैं जीते हुए घूँट ज़हर के कितने हम पीते हैं मन में जाने कैसा पर्वताकार दुःख है अब धीरे-धीरे उसी को...
View Articleशुभ संकल्प सा हृदय में राम आए
बुराई पर जीतती अच्छाई जीवन में संकल्पों का वह ताना बाना बुने कि हम उद्धत हों जाएँ अपने अपने भीतर के रावण को परास्त करने के लिए दीप जलें हृदय सुमन खिलेमन में ऐसा उत्सव हो कि दुःख समग्र आप्लावित हो जाए...
View Articleभावांजलि : सलाम, अपराजिता शर्मा
जो एकाएक उठ कर चल देते हैं बस इस धराधाम से असमय वो कितना विराट शून्य छोड़ जाते हैं पीछे।पर,यह भी है कि हम कौन होते हैं ये कहने वाले कि वे असमय चले गए हो सकता है यही यथेष्ट समय होयही सबसे उचित मुहूर्त...
View Articleलौ दीये की : कविता संग्रह
निष्प्राण माटी सी थी भाव-लताकविता के अवलंब ने भाव-लता को सुदृढ़ आधार दिया माटी का दीया रूप साकार किया और स्वयं लौ-सी प्रज्वलित हो उठी।दीये की गरिमा लौ से है कि बुझे दीप की गति तो श्मशान ही है।जब तक लौ...
View Articleदूरी
मुझ तक नहीं आती हैकभी कोई ढाढ़स की आवाज़ अपना ढाढ़स होने को मुझे ही औरों का ढाढ़स होना पड़ता हैजिस जिस तक मैं पहुँचीवो सब मेरे खुद तक पहुँचने के ही उपक्रम थेमेरा आसमान इतना भींगा था कि सूखे का भ्रम...
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