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ऊँ अक्षरब्रह्मणे नमः! १ सत्यनारायण पाण्डेय

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पापा से बातचीत :: एक अंश
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ऊँ अक्षरब्रह्मणे नमः!
अक्षरसमेलनेन ब्रह्मरूपशब्दाय नमः!
आज प्रचलन में कई ऐसे शब्द हैं, जो व्युत्पत्तिलभ्यार्थ से भिन्न रूढ अर्थ मे प्रयुज्यमान हैं।


जैसे:---कुशलः, प्रवीणः, गोवाहः, गोवाहकः वा।
कई शब्द जो अपने मूलार्थ से भिन्न विपरीत अर्थबोध के लिए विवश से हो रहे है:---
जैसे:---प्रपञ्चः, नारदः, वकीलः

अब देखते हैं इन शब्दों को विस्तार से :-

कुशलः --"व्युत्पत्तिलभ्यर्थः = कुशान् लाति इति कुशलः, पुजन आदि के लिए बिना क्षतिग्रस्त हुए आश्रम मे कुश लाने वाला बटुक या शिष्य।

अब यह शब्द किसी काम को बिना चोट चपेट के पूर्ण करने वाले व्यक्ति को "ये अमुक कार्य में बड़े कुशल हैं, ऐसा कहा जाता है, जबकि कुश लाना तो दूर (कुश लाने वाला) उसने कुश देखा भी नही होता। यह रूढार्थ है।


२ 

प्रवीण--वीणा वादने दक्षः योग्यः वा। अब भले किसी ने वीणा देखी भी न हो, लेकिन किसी काम को ठीक-ठीक कर दे तो, उसे कहा जाता है--ये इस काम मे बड़े प्रवीण हैं।


३ 

गोवाहः, गोवाहकः, गोचारणे नियुक्तः जनः = गोचारणवाहकः कालान्तर मे अभी "चरवाहा"के रूप में प्रचलित।
पहले वन में गायों मे एक दो गायों के भटक या खोजाने पर गोस्वामी उस गोवाहक के द्वारा बताए गए वन के उस भू-भाग से भूली गाय को ढूढ निकालते थे। आज वह "गवाह"शब्दके रूप में उच्चरित है और गवाह=किसी घटना के साक्षी देने का काम करता है। गवेषणा भी इसी प्रसंग से जुड़ा शब्द है--गो+एषणा=गवेषणा=गाय की खोज करने वाला, पर अब शोध=खोज करना (रीसर्च) रूढार्थ को बताता है।गवेषकः=शोधकर्ता। 

***


अब कुछ ऐसे शब्द जो व्युत्पन्न अर्थ से भिन्न अर्थाभिव्यक्ति के लिए विवश है:---


जैसे:-

प्रपञ्चः- प्रपञ्चयति=अर्थं विस्तारयति=संदेहं असन्देहं करोति=अनिर्णये निर्णयति।
अर्थात् प्रपञ्च भ्रामक स्थिति को सुस्पष्ट करने का द्योतक है, पर विडंबना यह है कि इसका प्रयोग वितंडावाद फैलाना, स्थिति को भ्रामक बनाने के अर्थ मे धड़ल्ले से होने लगा है, जो मूल अर्थ के विपरीत है।

नारदः=नारं=ज्ञानं ददाति इति - नारदः
अर्थात् ज्ञान देने वाला। ज्ञान देना बुरा है क्या? पर आज नारद शब्द का अर्थ "चुगली करने वाला", "बहका कर मार्ग से भटकाने वाले के रूप में किया जाने लग गया है।


वकील मेरी समझ से--

वाक्=वाक्=वाणी, सरस्वती; और कील = खुंटी (निडिल)
वाक् रूपी कील को इदमित्थम रूप में स्थिति को स्पष्ट करने वाले आज "वकील"कहलाते हैं। यह मेरी दृष्टि मे सही है।


भविष्य में अन्य ऐसे शब्दों पर विचार किया जाएगा।

धन्यवाद!

--सत्यनारायण पाण्डेय



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