$ 0 0 उड़ते हुए आसमानऔर उस पर टंके हुएटिके हुए सपनों के सितारेभागते बादल की छाँवपल भर का ठहराव बदलते दृश्यजीवन की सकल रश्मियाँ तत्वतः अस्पृश्य कहते हुए रुक जानाचलते हुए लौट आनाअनमना सा हर परिदृश्य ऐसे में हम बाट जोहते हैंउस एक आकार काजो उस दूर गगन में उभरेगा और हमारी सकल दुविधाओं का इकलौता उत्तर होगा !!