पापा से बातचीत :: एक अंश
हिंदी दिवस :: कुछ तथ्य, कुछ भाव ------------------------------------------
हिंदी दिवस :: कुछ तथ्य, कुछ भाव
![]() |
आज १४ सितम्बर "हिन्दी दिवस"के रूप में लगभग ६६ वर्ष पूर्व संविधान सभा में (आज के ही दिन) तय किया गया था कि आने वाले पन्द्रह वर्षों में (धीरे-धीरे) हम राजकीय भाषा के रूप में सम्पूर्ण कार्यालयी व्यवहार के लिए हिन्दी को सम्पूर्ण देश मे अपना लेंगे।
तब से आज के दिन हिन्दी दिवस, हिन्दी सप्ताह, हिन्दी माह, हिन्दी वर्ष सरकारी कार्यालयों, बैंको, जीवन बीमा कार्यालयों, विद्यालयों, विश्व विद्यालयों में ६६-६७ वर्षों से यह रस्मअदायगी करते चले आ रहे हैं हम। और "हिन्दी डे"भी हम धड़ल्ले से कह लेते हैं। शुद्ध हिन्दी की जगह "हिंगलिस" (हिन्दी,इंगलिस) का प्रयोग जोर पकड़ता ही चला गया है।
वाक्यगत, शब्दगत, वर्तनी संबंधी अशुद्धियों की तो नित्य भरमार ही देखने को मिलती है।
आखिर इतने वर्षों के बाद भी हिन्दी दिवस की संकल्पित परिकल्पना को सचमुच हम भारतीय -- शुद्ध शुद्ध लिखनें, बोलनें और दैनन्दिन कार्यालयी कार्य सम्पादन में पूरी ईमानदारी से अपना कर कब तक पूरा करने की स्थिति में आएंगे।
यह विडम्बना ही है कि हर निर्दिष्ट कोई विशिष्ट दिवस हमारी औपचारिक कार्य क्रम तक ही सीमित रह जाते हैं।
जयतु हिन्दी! जयतु हिन्दी दिवसः! जयतु भारतवर्षः!
तब से आज के दिन हिन्दी दिवस, हिन्दी सप्ताह, हिन्दी माह, हिन्दी वर्ष सरकारी कार्यालयों, बैंको, जीवन बीमा कार्यालयों, विद्यालयों, विश्व विद्यालयों में ६६-६७ वर्षों से यह रस्मअदायगी करते चले आ रहे हैं हम। और "हिन्दी डे"भी हम धड़ल्ले से कह लेते हैं। शुद्ध हिन्दी की जगह "हिंगलिस" (हिन्दी,इंगलिस) का प्रयोग जोर पकड़ता ही चला गया है।
वाक्यगत, शब्दगत, वर्तनी संबंधी अशुद्धियों की तो नित्य भरमार ही देखने को मिलती है।
आखिर इतने वर्षों के बाद भी हिन्दी दिवस की संकल्पित परिकल्पना को सचमुच हम भारतीय -- शुद्ध शुद्ध लिखनें, बोलनें और दैनन्दिन कार्यालयी कार्य सम्पादन में पूरी ईमानदारी से अपना कर कब तक पूरा करने की स्थिति में आएंगे।
यह विडम्बना ही है कि हर निर्दिष्ट कोई विशिष्ट दिवस हमारी औपचारिक कार्य क्रम तक ही सीमित रह जाते हैं।
जयतु हिन्दी! जयतु हिन्दी दिवसः! जयतु भारतवर्षः!