$ 0 0 ऐसे कैसे सीधी सरल रहती,वक्र हो गयी,ये खुद से ही है हारी दुनियागलती हमारी ही होगी,जाने क्या हुआ,रहने लायक रही नहीं हमारी दुनिया !!***जिसकीखो गयी हो चाभी,वो ताले रो गएरिश्तों के बियाबान में चलते-चलते,पाँव में ही नहीं,मन में भी छाले हो गए !!***'तुम'की महिमा अपूर्व'तुम'स्वयं माधुर्य !!***ये अप्रतिम दृश्य,कई बारनज़रों से गुज़र चुका हैविस्तृत गगन,स्नेहिल धरा की ओर,युगों-युगों से झुका है !!***एक गुज़रता है तूफ़ान,तो कई और,आ जाते हैंउनका सामना करते,छलनी-छलनी,हम सीने हैं फ़क़त !!***अभी जो बैठ गयी है,थक कर,तो क्या हुआये आस की नैया,अहर्निश,चली बहुत है !समयएक साकहाँ रहा है कभीबीतते हुए,जता जाती हैं खुशियाँ,कि वे छली बहुत हैं !!***आद्यान्तआंसू ही हैं बहतेइसे दुनियायूँ ही नहीं कहते !!