या देवी सर्वभूतेषु... !! २ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदां लोककल्याणे तत्परां दुर्गायाः भक्तानां कृते!सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते।।(मंगल्ये ही उच्चारण है मांगल्ये नहीं)नवदुर्गायाः...
View Articleचिड़िये रँ सुख-दुख :: अंगिका अनुवाद : डॉ. अमरेन्द्र
आज अपनी एक पुरानी कविताफ़ेसबुक पर शेयर किया हमने और कविता का सौभाग्य कि डॉ. अमरेन्द्र जी ने कविता को अंगिका में अनूदित कर दिया! इसे सहेज लें यहाँ भी ! बहुत बहुत आभार, डॉ. अमरेन्द्र जी !!एकटा छोटो रँ...
View Articleया देवी सर्वभूतेषु... !! ३ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातःसर्वेषां मंगलकामनारतां विद्वद्वरां स्रीणां सम्मानरक्षणाय बद्धपरिकरां सत्यार्थे मावान प्रति।धन्यवादाः! अद्यप्राप्तावसरोऽहं दुर्गासप्तशत्याः तृतीयचरित्रमवलम्य किञ्चित् निवेदनं करोमि:--तृतीय...
View Articleज़हर हूँ, मुझे अमृत होना है !!
एक डोर होती हैवो दिखती बहुत मज़बूत हैपर दिखने में हीवस्तुतः बहुत नाज़ुक होती है टूट गयी तो टूटन भी अपनीखुद सी लेती है किसी पर जाहिर नही होने देती !ऐसी डोरें अमृत हैंजो हुईं आपके जीवन मेंआपको अमृतमय करती...
View Articleया देवी सर्वभूतेषु... !! ४ :: सत्यनारायण पाण्डेय
Dr. S.N.Pandeyसुप्रभातः सर्वेषाम् देव्याः भक्तानाम कृते! नमस्कारश्च! दुर्गा सप्तशती के अंतर्गत देवी के तीन चरित्रों की चर्चा क्रमशः संक्षेप में की गयी !तृतीय चरित्र के अंतर्गत राक्षस शुम्भ...
View Articleया देवी सर्वभूतेषु... !! ५ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषाम् देव्याः भक्तानाम कृते! नमस्कारश्च!सबों के लिए शुभकामनाएं!मां जगदम्बा का देवों के प्रति यह आश्वासन कि:--"एवं यदा यदा बाधादानवेत्था भविष्यति।तदा तदा अवतीर्याऽहं करिष्यामि अरि...
View Articleया देवी सर्वभूतेषु... !! ६ :: सत्यनारायण पाण्डेय
डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय सुप्रभातः सर्वेषां शारदीय, बासन्तिके, वर्षपर्यन्तं वा जीवनपर्यन्तं देव्याः पूजन तत्परे सांसारिकजनानां कृते।प्रिय बन्धुगण! दशमीपर्यन्त मां की प्रीति एवं आपकी सेवा में कुछ निवेदन...
View Articleया देवी सर्वभूतेषु... !! ७ :: सत्यनारायण पाण्डेय
डॉ. सत्यनारायण पाण्डेयसुप्रभातः सर्वेषां शारदीय, बासन्तिके, वर्षपर्यन्तं वा जीवनपर्यन्तं देव्याः पूजन तत्परे सांसारिकजनानां कृते।प्रिय बन्धुगण! दशमीपर्यन्त मां की प्रीति एवं आपकी सेवा में कुछ निवेदन...
View Articleद्वन्द ?!!
Skansen :: Stockholmबुनती हैखुद फंस जाती हैमकड़ीजाले फिर भी बनाती है उसका नियत कर्मउसका स्वभाव है यह. अपने स्वभाव के वशीभूतहम कितना कुछ ऐसा करते हैंजो शायद नहीं करना चाहिए ?! कुछ बातें पूर्व निर्धारित...
View Articleया देवी सर्वभूतेषु... !! ८ :: सत्यनारायण पाण्डेय
Dr.S.N.Pandeyसुप्रभातः सर्वेषां शारदीय, बासन्तिके, वर्षपर्यन्तं वा जीवनपर्यन्तं देव्याः पूजन तत्परे सांसारिकजनानां कृते।प्रिय बन्धुगण! दशमीपर्यन्त मां की प्रीति एवं आपकी सेवा में कुछ निवेदन करते रहने...
View Articleकिनारे तक बहते जाना है
येकिसी अन्य क्षितिज कीबातें हैंहार-जीत से परेमन को मन कीसौगातें हैं पाने को खोना कहते हैंखो देने को पाना इस धरातल पर होता हैस्वतः अपने आप से मिल पाना.वहां तक कीराह टेढ़ी हैकंटकाकीर्ण भी शरीर जर्जर...
View Articleया देवी सर्वभूतेषु... !! ९ :: सत्यनारायण पाण्डेय
Dr. S.N.Pandeyसुप्रभातः सर्वेषां शारदीय, बासन्तिके, वर्षपर्यन्तं वा जीवनपर्यन्तं देव्याः पूजन तत्परे सांसारिकजनानां कृते।प्रिय बन्धुगण! दशमीपर्यन्त मां की प्रीति एवं आपकी सेवा में कुछ निवेदन करते रहने...
View Articleआसां नहीं डगर
बहुत दोहराव हैमेरी लिखे मेंजीवन --ये शब्दकितनी ही बार आता हैऔर यही वो तत्व हैजो फिर भीअनछुआ ही रह जाता है जीवन लिखनाकब सम्भव होगा कलम के लिए ?जीवन जीनाकब सुलभ होगा मन के लिए ?यही सब उधेड़-बुनलगी रहती है...
View Articleया देवी सर्वभूतेषु... !! १० :: सत्यनारायण पाण्डेय
Dr. S. N. Pandeyसुप्रभातः सर्वेषां शारदीय, बासन्तिके, वर्षपर्यन्तं वा जीवनपर्यन्तं देव्याः पूजन तत्परे सांसारिकजनानां कृते।आज विजयादशमी के शुभावसर पर आप सभी स्नेही जनों को हार्दिक शुभकामनाएं! यह बुराई...
View Articleकतरा-कतरा मन बुन लिया !!
दो-चार पलों काखेल रहायही देखाराहों में आते-जातेकि जीवन मृत्यु तकजीवन से बेमेल रहाहमने भाषा को जीते हुएभाषा की पेचीदगियां जीं अनुस्वार विसर्ग मेंजीवन के उच्चारण को साधा कहते-कहते रुक गए कभीकभी जो...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! १९ :: सत्यनारायण पाण्डेय
Dr. S. N. Pandeyपापा से बातचीत :: एक अंश----------------------------------सुप्रभातःसर्वेषां जिज्ञाषुणां ये जन्ममृत्युमभिलक्ष्य चिन्तनेरताः सन्ति"जीवनस्योद्देश्यं किमस्ति?किं चर्वाकदर्शनानुसारं:--"यावद्...
View Articleमन
हरीतिमा ने रचे कुछ विम्बजिनके अनुभूत प्रभाव सेमन का रेगिस्तानकुछ कुछ नमी की तस्वीर सेस्पंदित हो उठापत्थर का सीना चीरकहीं एक फूल जैसे खिल गया हो ! नमी नेछुआ ही थाकि ये क्याआंधी सी आईसब तहस-नहस हो गया...
View Articleकितने-कितने कोण !!
जीवन को देखने केकितने-कितने कोण हैं इस जहां मेंकिसका, कितना, कौन है ये सब थाहने की बातें थोड़े ही हैं किसी एक कोण सेजो एक झलक दिख जाए ज़िन्दगी कीतो जीवन तर जाता है कोई किसी का नहींहर पत्ता एक रोज़ शाख से...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! २० :: सत्यनारायण पाण्डेय
Dr. S.N.Pandeyसुप्रभातः सर्वेषां मानवजीवनस्यसार्थकतायाः विषयेचिन्त्यमानानां जिज्ञाषुणां बुध्दिमतां बन्धुनां कृते।कलके संदर्भ --"उद्धरेत्-----"की अगली कड़ी--प्रिय बन्धुओं !यह सामान्य सिद्धान्त है, एक को...
View Articleहो सके तो आना
चाँद, सूरज, तारे अपनी-अपनी तरह सेचमकते हैं सारे कोई नहीं होतातब भी वो होते हैंसाथ हमारे उनका तेज़हौसला बन साथ चलता है जन्म-मृत्यु के किनारों मध्यविडम्बनाओं का एक दरिया बहता है किनारे नहीं मिलते हैंनहीं...
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