$ 0 0 चाँद, सूरज, तारे अपनी-अपनी तरह सेचमकते हैं सारे कोई नहीं होतातब भी वो होते हैंसाथ हमारे उनका तेज़हौसला बन साथ चलता है जन्म-मृत्यु के किनारों मध्यविडम्बनाओं का एक दरिया बहता है किनारे नहीं मिलते हैंनहीं ही मिलेंगे सुनना गौर से बहता दरिया फिर भी जिजीविषा की महिमा ही कहता है जन्म-मृत्यु के बीच का अंतरालहम अपनी नौका खेते हुए पाटेंगे हो सके तो आनायूँ ही बहते हुएकहते हुए हम अपने सुख-दुःख बाटेंगे !!