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Channel: अनुशील
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हो सके तो आना

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चाँद, सूरज, तारे 


अपनी-अपनी तरह से
चमकते हैं सारे 


कोई नहीं होता
तब भी वो होते हैं
साथ हमारे 


उनका तेज़
हौसला बन
साथ चलता है 

जन्म-मृत्यु के किनारों मध्य

विडम्बनाओं का
एक दरिया बहता है 


किनारे नहीं मिलते हैं
नहीं ही मिलेंगे 

सुनना गौर से
बहता दरिया फिर भी
जिजीविषा की महिमा ही कहता है 


जन्म-मृत्यु के बीच का अंतराल
हम अपनी नौका खेते हुए पाटेंगे 


हो सके तो आना
यूँ ही बहते हुए
कहते हुए 


हम अपने सुख-दुःख बाटेंगे !!




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