सुप्रभातम्! जय भास्करः! २१ :: सत्यनारायण पाण्डेय
Dr. S. N. Pandeyसुप्रभातः सर्वेषां सहृदयानां आध्यात्मरूचिसम्पन्नानां विमलमतिनां कृते।प्रिय जीवन और जगत के प्रति चिन्तनशील मेरे बन्धुगण!कल के घोषित् अपने संकल्प और आपके स्नेहिल आश्वाशन की छांव में...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! २२ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां जीवनपथपथिकानां येसंसारसागरेऽस्मिन्सहजरूपेणतरतुमिच्छन्ति।प्रिय बन्धुगण!श्रीमद्भगवद्गीता के विषादयोगनमप्रथम् अध्याय से मोक्षसंन्यसयोग अठारहवें अध्याय की यात्रा में सम्मिलित होने के लिए...
View Articleसत्संगति विसंगति
पेड़परमार्थ के लिएअपना सब कुछ लुटा देते हैंउनकी छाँव में हमकुछ-कुछ उन जैसे हीऔरों के ज़ख्मों की दवा होते हैंपेड़ होनाएक जीवन दर्शन है उनका सान्निध्य जीवन को अर्थ नये देता हैउसकी शीतलता के करीब हो हम उस...
View Articleबारिश
बरसता हुआअम्बर होदूर चमकतासूरज होदो ख़ामोशियों कोएक दूजे को थामने काज़रा सा बस धीरज होफिर दुर्गम राहें आसान हैं !बारिश और क्या है ?भींग कर कैसे नमी जी जाती हैइसी का तो संधान है !!
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! २३ :: सत्यनारायण पाण्डेय
Dr.S.N.Pandeyसुप्रभातःसर्वेषां जीवनयात्रायां सुगमतापूर्वकं जीवनंयापयित्वामोक्षमवाप्नोतुमिच्छन्ति ।प्रिय बन्धुगण!कल विषादयोगनाम प्रथम अध्याय का महत्व हम सब ने ज्ञान प्रप्ति की आधारभूमि के रूप में...
View Articleयात्रा एवं यात्रा के प्रतिमान
मौन होमौन में प्रार्थना होबुलबुलों-सा जीवन हैबुलबुलों-सी हीमिट जाने की चाहना होफिर कहीं जाकरमोक्ष का संस्कार खिलेगाउस परमधाम का द्वार मिलेगावो दूर वहां कहींक्षितिज पर हैऔर क्षितिज भी तोमात्र भ्रम ही...
View Articleजीवन, यात्रा और हम :: कुछ टुकड़े
रेलधीरे धीरेबढती है गंतव्य की ओरकितने ही दृश्ययादों में संजोनेयादेंजिनका होना हैन कोई ओर न छोरबस भागते हुए ही बीतनी है रातेंभागते हुए ही होती है भोरकभी तो ठहर, ज़िन्दगी!किसी ठौर***हर पड़ाव से बढ़ते...
View Articleमन में भी छाले हो गए
कुछ असम्बद्ध टुकड़े. खो न जायें कहीं, सो सहेज लिया जाए टुकड़ा-टुकड़ा मन. टुकड़ा-टुकड़ा लेखन.*** *** ***सुनसान डगर परगूंजता हुआ शोरज़िन्दगीबढ़ती हुई हर क्षणमौत की ओर***ऐसे कैसेसीधी सरल रहतीवक्र हो गयी ये खुद...
View Articleकि वो स्वयं कविता, वही कवि भी !!
भाव की महिमा हैआंसुओं की अपनी गरिमा है जो खारा जल स्वतः बह आयेउन्हें बहने दिया जाए जो अनायास कह उठता हो मनउसे व्यक्त होने दिया जाए कि क्षितिज पर चमकता शशि वहीवही, अनायास व्यक्त होने वाला भाव, रवि...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! २४ :: सत्यनारायण पाण्डेय
Dr. S. N. Pandeyसुप्रभातःसर्वेषां गीतायाः विषादयोगोनां प्रथमोऽध्यायतः मोक्षसंन्यासयोगोनामष्टादशाध्यायपर्यन्तं यात्राक्रमे संलग्नानां सुहृदाणां कृते!जी! हृदय की क्षुद्र दुर्बलता ही तो हमें भ्रमित और...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! २५ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातःसर्वेषां गीतायाः विषादयोगोनां प्रथमोऽध्यायतः मोक्षसंन्यासयोगोनामष्टादशाध्यायपर्यन्तं यात्राक्रमे संलग्नानां सुहृदाणां कृते!मलनिर्मोचनं पुंसां जलस्नानं दिने दिने।सकृद् गीताम्भसि स्नानं...
View Articleऐसा भी होता है
रिश्तों की जितनी परिभाषाएं थींसबकी अपनी सीमा थीजो नाम दिए जा सकते थेवो सब कहीं न कहीं बौने थेजुड़ाव अनजान थाअनाम थाहमने उसेवैसा ही रहने दियाजब ख़ामोशी थी तो खामोशियाँ सुनी,ख़ामोशियों को कहने दियायूँ...
View Articleवो सागर हो जाती है
रास्ताचलता रहा चलते-चलतेरास्ते का एक सिरा समंदर से जा मिला.यूँ ही तोअपना सफ़र तय करनदियाँ भी समंदर से मिल जाती होंगी !जहाँ से समंदर शुरू होता हैठीक उसकी दहलीज़ तक पहुँच कररास्ता रुक जाता है मगरनदी के...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! २६ :: सत्यनारायण पाण्डेय
डॉ. सत्यनारायण पाण्डेयसुप्रभातःसर्वेषांसहृदयानांकृतेये गीतायाः विषादयोगनाम प्रथमध्यायतः मोक्षस-न्यास योगाष्टादशाध्याय पर्यन्त यात्रायां रूचिं धारयन्ति।कल की चर्चा यहां तक थी "योगस्थः कुरू कर्माण..."हे...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! २७ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां श्रीमद्भगवद्गीयायाः क्रमशः विषादयोगोनाम प्रथमोध्यायतः मोक्षसंन्यासयोगअष्टाध्यायपर्यन्तं सहयात्रायां ये यात्रिणः सहयोगिनः सन्ति तेषां कृते!प्रिय बन्धु!मैं प्रथमतः पुनः निवेदन करना...
View Articleयात्रा के आयाम
यात्रा केउस मोड़ परपंछी थे, पानी था, गहराई थीहमहोकर भी कहीं नहीं थेये भी एक सच्चाई थीआँखों का पानीआँखों में झिलमिल करबरस जाता थाएक वो भी क्षण आयाकभी न कभीआता ही है जब नयनों का कोरउन बूंदों कोतरस जाता था...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! २८ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां श्रीमद्भगवद्गीताज्ञानयज्ञयात्रायां संलग्नानांसुचिन्तनरतां सुहृदाणां कृते।प्रिय बन्धुगण!क्रमशः गीता ज्ञान यात्रा क्रम में सांख्ययोगो नाम द्वितीय अध्याय के उपसंहार की ओर बढ चले हैं, आज...
View Articleस्वप्न और स्वप्न में खिली कविता
जो समाधान जागते हुए बड़े प्रयास के बाद भी नहीं मिलते, कभी कभी वो सारे हल स्वप्न दे जाता है... वास्तव में वह स्वप्न स्वप्न नहीं होता... उसकी तरलता इतनी वास्तविक होती है कि आँखें बहने लगती हैं. ये रोना...
View Articleमन पतवार हो जाए
उन्हें सहारा देने कोदीवार हो जाएमन डूबती हुई आस की ख़ातिरपतवार हो जाएपर्वत साअटल अचल रहे कभीकभी कल-कल बहतीधार हो जाएमनडूबती हुई आस की खातिरपतवार हो जाएबूंदों मेंझिलमिल इन्द्रधनुषजिजीविषा काएकनिष्ठ...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! २९ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां गीताज्ञानयात्रायां विषादयोगोनामप्रथमोऽध्यायतः मोक्षसंन्यासयोगोनामष्टादशोध्यायपर्यन्तयात्रायं दत्तचित्तसुहृदाणां कृते!प्रियबन्धु गण! हमारी गीता ज्ञान यात्रा क्रमशः विषाद...
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