$ 0 0 यात्रा केउस मोड़ परपंछी थे, पानी था, गहराई थीहमहोकर भी कहीं नहीं थेये भी एक सच्चाई थीआँखों का पानीआँखों में झिलमिल करबरस जाता थाएक वो भी क्षण आयाकभी न कभीआता ही है जब नयनों का कोरउन बूंदों कोतरस जाता था यूँ हीयात्रा के आयामतलाशते है कभी हमजीवन को तरसते हैंकभी उसे तराशते हैं !!