$ 0 0 बरसता हुआअम्बर होदूर चमकतासूरज होदो ख़ामोशियों कोएक दूजे को थामने काज़रा सा बस धीरज होफिर दुर्गम राहें आसान हैं !बारिश और क्या है ?भींग कर कैसे नमी जी जाती हैइसी का तो संधान है !!