$ 0 0 भाव की महिमा हैआंसुओं की अपनी गरिमा है जो खारा जल स्वतः बह आयेउन्हें बहने दिया जाए जो अनायास कह उठता हो मनउसे व्यक्त होने दिया जाए कि क्षितिज पर चमकता शशि वहीवही, अनायास व्यक्त होने वाला भाव, रवि भीएहसास स्वमेव ढल जाते हैंकि प्रकृति स्वयं कविता, वही कवि भी !!