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Channel: अनुशील
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कि वो स्वयं कविता, वही कवि भी !!

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भाव की महिमा है
आंसुओं की अपनी गरिमा है


जो खारा जल स्वतः बह आये
उन्हें बहने दिया जाए 


जो अनायास कह उठता हो मन
उसे व्यक्त होने दिया जाए 


कि


क्षितिज पर चमकता शशि वही
वही, अनायास व्यक्त होने वाला भाव, रवि भी


एहसास स्वमेव ढल जाते हैं
कि प्रकृति स्वयं कविता, वही कवि भी !!


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