कान्हा !!
ममत्व कोआयाम मिलाकृष्ण ने जब अवतार लियाधरा कोलीलाओं से सधादृश्य नयनाभिराम मिला
View Articleबचपन की ओर निर्निमेष ताकते लम्हे-- १
एक शांत सहज सी रफ़्तार मेंगिरते फ़ाहेजता रहे थेजीवन का होना उन्ही के बीचकिसी दिसंबर की दोपहरथा हमारा भी एक कोना वहीँ कहींहम जी रहे थेअपना होना
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ३० :: सत्यनारायण पाण्डेय
डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयाणां ये गीताज्ञानयात्रायां सहयोगिनः सन्ति।अद्याऽपि "कर्मयोगो नाम"तृतीयोऽध्यायैवसावधानतयावलोकनीयम्।प्रिय बन्धुगण!"व्यामिश्रेणेव वाक्येन-----"कह कर...
View Articleबचपन की ओर निर्निमेष ताकते लम्हे-- २
दुनिया केकितने कोनों में बंट गए हमज़िन्दगी की रफ़्तार मेंखो गए कितने ही गमआँखबेवजह भी रही नमजोड़े हुए हैं पर उस मिटटी के संस्कार हमेंजुड़ा हुआ है हम सबका मनभूले नहीं भूलेगा बचपन का वह आँगन !!School...
View Articleजली हुई माचिस की तिल्लियों ने मुझसे कहा--
जली हुई माचिस की तिल्लियों नेमुझसे कहा--सहेजो न मुझे भीजैसे तुम शब्दों को सहेजती होकविताओं को पूजती होगौर से देखो--संध्या दीप जला करलौ को मुझसे ही प्रज्वलित करत्याग देती हो मुझेमैं त्याज्य...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ३१ :: सत्यनारायण पाण्डेय
डॉ सत्यनारायण पाण्डेय सुप्रभातः सर्वेषां प्रथमोऽध्यायतः अष्टादशोध्यायपर्यन्तं गीतोज्ञानयात्रायां सहयात्रीणां कृते। कर्मयोगोनामतृतीयोऽध्याये समुपस्थितो वयम्।प्रियबन्धुगण!इस अध्याय के पांचवें श्लोक तक...
View Articleशुभ दीपावली !!
हरे पत्तों परनहीं उकेरे जा सकते अक्षरपतझड़ हैझरे हुए पत्तों परसहर्ष सज गयी कविता उर्वर वो हरा हो तो भरा हैझर गया तो भी खरा है पत्तों की नियति का मर्म पहचानना होजो जीवन को ज़रा करीब से जानना होतो पत्तों...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ३२ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातःसर्वेषां कृते, ये गीता-ज्ञान चर्चायां संलग्नाः सन्ति।अद्यापि तृतीयोऽध्यायैव हि चिन्तनस्य विषयः।प्रियबन्धुगण ! तृतीय अध्याय में भी ४३ श्लोक हैं, कल तक हमारी यात्रा ८वें श्लोक तक हुई थी, मैं...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ३३ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। अद्यापि कर्मयोगो नाम तृतीयोऽध्यायैव ध्यातव्यमस्ति। अद्य निःसन्देहेन कर्मयोगस्य प्राधान्यमिति सुनिश्चितो...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ३४ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। अद्य ज्ञानकर्मसन्यासयोगोनाम चतुर्थोऽध्यायः ध्यातव्यमस्ति। ज्ञान संबलितं निष्काम कर्मं तु सर्वै: सर्वदा करणीयमिति तु...
View Articleपरिवर्तन. मौसम. जीवन
Masmovägen, Stockholmबर्फ़ जमने लगी हैघास-पात ठिठुरने लगे हैं पत्तों पररात भर गीरे शीत के दर्शण का मौसमबीत गया अब श्वेत धवल होगी धराबर्फ़ के फ़ाहों से आच्छादित होअब कुछ भी नहीं रहेगा हरा बिना लाग-लपेट...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ३५ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। अद्य ज्ञानकर्मसन्यासयोगोनाम चतुर्थोऽध्यायेएव ध्यातव्यं विद्यते।प्रिय बन्धुगण!अर्जुन द्वारा की गयी शंका "अपरं भवतो...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ३६ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। अद्यापि ज्ञानकर्मसन्यासयोगोनाम चतुर्थोऽध्यायेएव ध्यातव्यं विद्यते।प्रिय बन्धुगण!चतुर्थ अध्याय भी येन-केन-प्रकारेण ज्ञान...
View Articleकोई कविता सी चीज़ अनायास कढ़ रही थी
सुबह के आँचल से बंधीकुछ यादेंशाम के सिरहाने रखीं थींशाम अपने ही अंधेरों में डूबीअपना आप गढ़ रही थीकोई कविता सी चीज़ अनायास कढ़ रही थी शाम और सुबह की तस्वीरों मेंएक दुर्भेद्य साम्यता थीयादों में जीने की...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ३७ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। अद्यापि ज्ञानकर्मसन्यासयोगोनाम चतुर्थोऽध्यायेएव ध्यातव्यं विद्यते।प्रिय बन्धुगण!अब तक इस अध्याय में भी ज्ञानपूर्वक कर्म...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ३८ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। अद्य कर्मसन्यासयोगोनाम पंचमोऽध्यायः एव ध्यातव्यं विद्यते। पंचमोऽध्यायोऽपि कर्मयोगमेवानुसरणीयमितिशिक्षयति !प्रिय...
View Articleपीले पत्तों से झाँकता जीवन
पीले पत्तों से झाँकता जीवनराहों में सहर्ष बिछ करयहाँ-वहाँ बिखरे जीवन को आह्वानित करता हुआएकत्र कर रहा हैअपने इर्द-गिर्द इस तरह मृत्यु के सन्निकट भीहर पीत पत्र जीवन ही बुन रहा हैअपनी सामूहिक सरसराहट में...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ३९ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। अद्य कर्मसन्यासयोगोनाम पंचमोऽध्यायः एव ध्यातव्यं विद्यते! पंचमोऽध्यायोऽपि कर्मयोगमेवानुसरणीयमिति शिक्षयति ! क्रमशः इति...
View Articleदुःख सूर्य हो जाता है
कुछ दुःखऐसे होते हैंजिन्हें चाह कर भीशब्द नहीं दिया जा सकताशब्दों मेंन व्यक्त हो सकने वाला दुःखहृदय की नम मिट्टी मेंमिल जाता हैवहीं रहता हैहम उससेकभी नहीं छूटतेचाहे समय कीकितनी ही परतें क्यूँ न चढ़...
View Articleतमाम अनिश्चितताओं की धुँध में
बहुत बुरा होता हैस्वयं से संवाद की गुंजाईश का मर जाना जबदुःख हमसे हमारे सारे शब्द छीन लेता हैभाषा मूक हो जाती हैकुछ कहते नहीं बनताशून्य में तिरते आँसू ठहरे होते हैंआत्मा पर लगे घाव गहरे होते है अपने...
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