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Channel: अनुशील
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बचपन की ओर निर्निमेष ताकते लम्हे-- २

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दुनिया के
कितने कोनों में बंट गए हम


ज़िन्दगी की रफ़्तार में
खो गए कितने ही गम


आँख
बेवजह भी रही नम


जोड़े हुए हैं पर उस मिटटी के संस्कार हमें
जुड़ा हुआ है हम सबका मन


भूले नहीं भूलेगा बचपन का वह आँगन !!


School photograph :: Std 7 A :: 1995, Jamshedpur







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