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Channel: अनुशील
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पीले पत्तों से झाँकता जीवन

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पीले पत्तों से झाँकता जीवन
राहों में सहर्ष बिछ कर
यहाँ-वहाँ बिखरे जीवन को
आह्वानित करता हुआ
एकत्र कर रहा है
अपने इर्द-गिर्द 


इस तरह
मृत्यु के सन्निकट भी
हर पीत पत्र
जीवन ही बुन रहा है
अपनी सामूहिक सरसराहट में
जो मन्त्र बुदबुदा रहे हैं पत्ते
उसे उतनी ही एकाग्रता से
काल सुन रहा है 



ये बीज-मन्त्र

आत्मसात कर 

पतझड़-गीत रचना है
जीवन को इस विश्रांति-वेला में
इन चरमराहटों में ही बचना है !!



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