सुप्रभातम्! जय भास्करः! ४० :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। प्रिय आत्मन्! दैवयोगात् गीताज्ञानयात्रायाः क्रमे अवरोधोजातः! मम मनसि एतादृशी एव भावः ! ईश्वरेच्छाबलवती भवति! कथितमपि...
View Articleदरारें रह जाएँगी
टूटा-फूटाअपना मन बटोरने के लिए-शब्दों की डोर बुनीउस डोर मेंकुछ टुकड़े पिरोयेकई प्रश्न आ लगेमोती बनकरधागे ने सब साधामन बाँधा !प्रश्नप्रश्न ही रहने हैंटुकड़ों को बटोर भी लियातो साथ में दरारों का अस्तित्व...
View Articleमृत्यु के से बर्फ़ीले फैलाव पर
हृदयचीखना चाहता हैफूट-फूट कररोना चाहता है ऐसी सहूलियतें कहाँजीवन की कँटीली राह मेंकि रुक कररो लिया जा सकेसब कुछ स्थगित करअपना हो लिया जा सके जीवन की निरीहतासालती हैकैसे-कैसे तो साँचों में पीड़ा खुद को...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ४१ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। पंचमो अध्यायस्य यात्रा संक्षेपतः परिपूर्णो जातः! अद्य आत्मसंयमयोगोनाम षष्ट अध्यायस्य यात्रा प्रारभ्यते!प्रिय...
View Articleराख में आग का बचे रह जाना
कहना मुमकिन नहीं ही हैसो लिख जाती हैं बातें कई बार शब्दों को अपना मन सौंप देना ज़रूरी सा होता है कि खुले वह शब्दों मेंतो ही तो संभव हो सकेगा मन के चोटों का भी उपचार. शब्द ब्रह्म हैंसच है पर कई बार शब्द...
View Articleसमझावन के कितने ही विकल्प गढ़ लिए जाते हैं
कैसी विडंबना हैजीना होता हैदुःखघूँट-घूँट पीना होता हैपीते-पीतेपीड़ा जीते-जीतेअभ्यस्त हो जाते हैं हमन घटते हुए भीन घटने वाले दुःख केघट जाने कामिथ्याभास होता हैजहाँ तत्वतः असहाय होते हैंवहां समझावन...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ४२ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। अद्यापि आत्मसंयमयोगोनाम षष्टअध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण!मन के संयमन के उपायों का विश्लेषण ही इस अध्याय का...
View Articleबिखरा मन, बिखरे शब्द
कोरा ही था सबकोरा ही रहा अपने कोरेपन कोक्या ही भरते उस शून्यता कोभर ही नहीं सकते थे!हताश कागज़ो के कोरेपन मेंअर्थ तलाशते रहे बिखरते शब्दों मेंहम अपने होने कोतराशते रहे अक्षरों नेकागज़ के इस छोर सेउस छोर...
View Articleवह क्षण
होनेऔर न होने के बीचएक क्षण कासूक्ष्म अंतर होता है उस एक क्षण केइस पारऔर उस पारबहुत बड़ी दुनिया होती है दरअसल वह क्षणअपने आप में ही पूरी दुनिया है आशाओं, सपनों, औरअनिश्चितताओं वाली हमारी दुनिया कोक्षण...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ४३ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। अद्यापि आत्मसंयमयोगोनाम षष्टअध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण!श्रीमद्भगवद्गीता में कई जगहों पर मन, चित्त और आत्मा...
View Articleमुट्ठी में सागर भर लहरें थीं
दिवार पर टिकी नज़रकुछ तो तलाश रही थी उस तलाश मेंदिशाहीन इंतज़ार था इंतज़ार के हिस्सेसीमातीत अनिश्चितताएं थीं देवता तटस्थ थेलौ का काँपना ज़ारी था मुट्ठी मेंसागर भर लहरें थीं लहरों के संवेग मेंजीवन का...
View Articleपरछाईयाँ रह जाती हैं
अपने आँचल में हमनेतमाम उदासियाँबिखरी हुईआगत-विगत अनगिन ख़ामोशियाँसमेट रखीं हैंहमसमय की धार में मिलखो जाने वालीइकाइयाँ ही तो हैं हमसेहर क्षणकितना कुछखो ही तो जाता है मुस्कानें खो जाती हैंसपने जुदा हो...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ४४ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयानां सज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति। अद्यापि आत्मसंयमयोगोनाम षष्टअध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण! कल हम लोगों ने शक्तिशाली मन को वश में करने की...
View Articleखाली पाँव ज़िन्दगी
कहना कुछ होता हैकह कुछ जाते हैं होना कुछ होता हैहो कुछ जाता है खाली पाँवचलती हुई ज़िंदगी केतलुवों मेंजितने भी काँटे चुभते हैं सब नियति के मारे हैं चुभना उनका उद्देश्य नहींउनकी प्रकृति है वे चुभेंगे ही...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ४५ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्य ज्ञानविज्ञानयोगोनाम सप्तमो अध्यायस्य यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण! आत्मसंयमयोगनाम छठे अध्याय की पूर्णता के बाद हम आज...
View Articleनमी के अनगिन टुकड़े और हम
आधी रात बीत जाने परसुबह से कुछ दूरपहर एकठिठका खड़ा थाटप-टप बूँदों की झड़ी लगी थीवो उसमें भींग रहा थाखिड़की से झाँकतीएक जोड़ी आँखों नेबीतता हुआ एक अध्याय देखानीरव अन्धकार के पारगिरती बूंदों के संगीत मेंजीवन...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ४६ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्य ज्ञानविज्ञानयोगोनाम सप्तमअध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण! इस अध्याय में हमलोगों ने देखा कि अपरा और परा प्रकृति...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ४७ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्य ज्ञानविज्ञानयोगोनाम सप्तमअध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण!आरम्भ में ही इस अध्याय के विवेच्य विषय पर संकेत देते...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ४८ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्य अक्षरब्रह्मयोगोनाम अष्टमे अध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण! इस अध्याय का मुख्य विषय अक्षर और ब्रह्म, क्रमशः...
View Articleकागज़ का मन भींग रहा है
लिखते रहने कीसम्भावना काबचे रहनासाँसों के बचे रहने की गवाही हैदुःख काअनुभूति मेंबने रहनाजीवित होने की पुष्टि हैदर्द कीसम्यक उपस्थितिगति का ही स्पष्ट मानक हैपत्थर हो चुके आँसूआँखों का खारापन जीते हैं...
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