कि पहुंचना कहीं नहीं है
सूखे पत्तेबर्फ़ के फ़ाहों सेढँक चुके हैं मन की ज़मीं परजमी परतकितना कुछ सहेज रही हैक्या कुछ छुपा रही है ये बादलों में उभरतीआकस्मिक आकृतियों सारहस्यमय संसार है भावों कीविरल व्याख्या काअदृष्ट आयतन है जितनी...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ४९:: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्यापि अक्षरब्रह्मयोगोनाम अष्टमे अध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण!कल हमलोगों ने इस अध्याय के सातवें श्लोक में भगवान्...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ५० :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्यापि अक्षरब्रह्मयोगोनाम अष्टमे अध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण !कल हमलोगों के इस अध्याय के १३वें श्लोक तक निराकार...
View Articleमन कुरेदते शब्दों में जीवन का वितान
पीड़ा कविता में पैठती है, तो-पीड़ा, पीड़ा मात्र न होपीड़ा से वृहद् कुछ और हो जाती हैकविता भीकेवल कविता नहीं रह जातीउसका वितानरह-रह कर टूटता हैविवशता परिभाषित करते हुए उसका भी दिल दुखता हैऐसे मेंतथ्य...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ५१ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्य राजविद्याराजगुह्ययोगोनाम नवमे अध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण !हमारी यह सामान्य जिज्ञासा हो सकती है कि यह...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ५२ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्यापि राजविद्याराजगुह्ययोगोनाम नवमे अध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण ! जैसा कि विदित है इस अध्याय में विज्ञान सहित...
View Articleकि भटकन राह ही है.
वहाँ कई छोर हैंहृदयाकाश बादलों से पटा रहता है यदा-कदा हीसाफ़ होता है आसमान विचारों का पंछीकितने ही छोर नापता हैभटकन उसकी आत्मा का राग हैऔर सबसे सुन्दर राग कि भटकन हीराह भी है. आसमान में भी ठोकरें होती...
View Articleउनकी तरह होने का मर्म
पेड़ों के पास जो भाषा होती हमारी तरहजो उनके पास अभिव्यक्त होने की सहूलियतें होतीतो क्या वे भी उस भाषा में रोते-चिल्लातेशिकायत करते ?!या सुख दुःख के प्रतिउनकी तटस्थता यूँ ही बनी रहती ?!जब बसंत की सुषमा...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ५३ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्यापि राजविद्याराजगुह्ययोगोनाम नवमे अध्याये एव यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण !पूर्व के श्लोकों में भगवान् ने समस्त विश्व को...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ५४ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्य विभूतियोगोनाम दशमे अध्याये यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण !इस अध्याय में प्रधान रूप से भगवान् की विभूतियों का वर्णन हुआ...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ५५ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्यापि विभूतियोगोनाम दशमे अध्याये यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण !कल हमलोगों ने अर्जुन को दिए गए भगवान् के आश्वाशन को "जो मुझे...
View Articleवो तुलसी है.
वोजोड़ती है मुझेमेरे बिछड़े आँगन सेवोभाव रूप में ही सहीमुझे वहाँ तक पहुँचाने वाले पुल सी है वो तुलसी है.
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ५६ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्य विश्वरूपदर्शनयोगनाम एकादश अध्याये यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण!इस अध्याय में अर्जुन के प्रार्थना करने पर भगवान् ने अपने...
View Articleचूकती साँसों के हस्ताक्षर
विवशताओं की लम्बी फेहरिस्त हैज़िन्दगी के हिस्सेबस कुछ साँसों के घेरे हैं-- जिन्हें स्वतः चूक जाना है इक दिन इन घेरों के बीच होते हुएजो चूकें हमसे होती हैं वो चूक रही साँसों का हस्ताक्षर है!...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ५७ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्यापि विश्वरूपदर्शनयोगनामेकादशध्याये यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण !अस्माकं सर्वेषाम् गीताप्रेमीनां कृते परम सौभाग्यस्य...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ५८ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्य भक्तियोगोनाम द्वादश अध्याये यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण!यद्यपि १२वें अध्याय में अनेक विकल्प देते हुए साधनों सहित भक्ति...
View Articleसन्नाटों की गूँज और फिर उनका भी खो जाना
चाँद सितारेसब विदा हो गए निस्तब्ध निस्तेज वीरानमौन रहा आसमान गूंजते थे सन्नाटे जो धरा के आँचल तक पहुँचखो जाते थे सन्नाटों की गूँज तक केखो जाने सेउपजी अपरिमेय रिक्तता फिर यात्रा करती थीनभ तक का जाने...
View Articleडूबता सूरज और रुआंसा मन
विदा करते हुए उसेदर्द की ऐसी सघनता थी कि कई रंग में अभिव्यक्त हुई वह पीड़ा आसमान की छाती विदीर्ण हुईसकल सान्त्वानाएँ जीर्ण शीर्ण हुईं उगना, डूबना, आना, जाना--इन शब्दों में निहित हैआसमान भर...
View Articleसुप्रभातम्! जय भास्करः! ५९ :: सत्यनारायण पाण्डेय
सुप्रभातः सर्वेषां सुहृदयसज्जनानां कृते ये गीता-ज्ञान-यज्ञे संलग्नाः सन्ति. अद्यापि भक्तियोगोनाम द्वादश अध्याये यात्रा भविष्यति!प्रिय बंधुगण !बारहवें श्लोक तक हमलोगों ने देखा कि भग्वाद् प्राप्ति के लिए...
View Articleवो कविता है
वोसंवेदना के धरातल परउगती हैडाढ-पात तक काअनदेखा, अन्छुआ, अनकहा दर्दअपनी सम्पूर्ण सघनता मेंउसे महसूस होता है इसीलिए तो--वो कविता है उदास हो जाती है. वो कविता हैइसीलिए तो--कितना भीबोझिल हो क्यूँ न हो...
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