कितने ही प्रश्न थे
अनुत्तरित ही रहे
लेकिन
जो कुछ सीखा हमने
उनसे ही सीखा
जिनके उत्तर कभी नहीं मिले
जीवन उन प्रश्नों में मुस्कुराया
हमने आधे-अधूरे ख़्वाबों में
नवजीवन का
अद्भुत अंकुरण पाया
वहीँ से
एक किरण आँखों में बसाये
हम चल रहे हैं
ज़िन्दगी
भागती चली जा रही है
हम धीरे-धीरे दीये सा जल रहे हैं !!