सिसकियों के उस पार!
एक बहुत पुरानी रचना... उसीपुरानी डायरी से: :मंजुल मोती की माया सेचमक उठा संसार...हम चमके सहेज करअपने अश्रुकण दो चार! आसमान की लाली देखचहक उठा संसार...हम चहके पाकरअपनी वसुधा का प्यार! हरियाली के आलम में...
View Articleकल उजाला होगा...!
पुराने पन्ने पलटना उन दिनों तक लौटना है जब उन पन्नों पर यूँ ही कुछ उकेर दिया जाता था... स्कूल के दिनों की तारीखें हैं इस डायरी में, डायरी की अवस्था ठीक नहीं है... कि संभाल कर रखी ही नहीं गयी, पर यादें...
View Articleहां ज़िन्दगी!
हर कविता की एक कहानी होती है... जैसे हम में से हर एक की एक कहानी होती है... अलग सी और फिर भी कुछ कुछ एक ही... अब ज़िन्दगी तो हममें से हर एक के लिए एक पहेली ही है न... और इस पहेली से जूझते इसे सुलझाने...
View Articleअपने लिए... अपने अपनों के लिए!
अपने आप को समझाने के लिए ही लिखते हैं हम, किसी हताश क्षण में ये भी अपने लिए ही लिखा होगा तब... उस वक़्त शीर्षक नहीं लिखते थे पर तारीखें हैं लिखी हुई... २६.३.१९९८ को लिखित यह रचना जिस मनःस्थिति में लिखी...
View Articleभींगना क्या होता है...?
भींगना क्या होता है... ? क्या बारिशों में भींग कर भींगा जा सकता है... या फिर एक सहज सुन्दर और सचमुच का भींगना वो भी होता है जब खिली धूप में उदासी ओढ़े हम दूर किसी आहट... किसी आवाज़ या फिर किसी अनकही...
View Articleशब्दों की प्रेरणा, प्रेरणा से उपजे शब्द!
"अपना ख्याल रखना"... आत्मीयता से पगे आपकेये स्नेहपूर्ण शब्द प्रेरणा बन कर बहुत कुछ लिखवाना चाहते हैं... पर कलम चुप सी है...! अचानक अभी आधी नींद में लिखा गया यह... कविता तो नहीं है... यूँ ही कुछ है, आधी...
View Articleमनें दीपावली... दीपों वाली!
स्वप्न में,स्वप्न सा...दीखता है जगमगएक दीप उम्मीदों काएक ज्योति खुशियों की स्वप्न के धरातल सेवास्तविकता की ठोस ज़मीन तक का सफ़रइसी क्षण तय हो और दिखे दीपजगमगातामन की देहरी पर बस इतनी सी हीप्रार्थना...
View Articleहम भूल गए बंदगी...?
पुरानी डायरी से १९९८ में लिखी गयी रचना::अगर न होते नैन, जिह्वा और श्रवण शक्ति...तो, निर्विघ्न चल सकती थी भक्ति...दरवाज़े सब होते बंद... बस खुला रहता मन का द्वारशांत हृदय से जुटते हम करने आत्मा का...
View Articleकल ये हमारा नहीं रहेगा...!
तुम्हारे लिए हीअस्त हो रहा है...कल तुम्हारे लिए हीपुनः उदित होगा...बस रात भर रखना धैर्यये जो अँधेरा है न...बीतते पहर के साथयही उजाला पुनीत होगा...ये जो डूबती हुईलग रही है न नैया...रखना विश्वास,किनारे...
View Articleहृदय से बहता निर्झर!
बह रहे हैं अविरल आंसूउद्विग्न है मन...कहीं न कहींखुद से ही नाराज़ हैं हम... भींगते हुए बारिश मेंबस यूँ ही दूर निकल जाना है कहीं...यूँ भींग जाएँ-आँखों से बहता आंसू दिखे ही नहीं... आसमान से गिरती बूंदों...
View Articleललित, आपके लिए...!
पहले भी लिखा है इसी शीर्षकसे आज फिर यूँ ही कुछ लिख जाने का मन है... आपकी प्रेरणा से आपके लिए...विचलित हो जाता है मनरो पड़ता हैसमस्यायों का एक समूचा व्यूहमुझे जब तब जकड़ता है सबसे हो दूर कहीं खो जाने...
View Articleज़िन्दगी हर कदम एक जंग है...!
ये एक तस्वीर ::नितिन्द्र बड़जात्याजी ने एक दिन यूँ ये तस्वीर हमें दी थी… इस विश्वास के साथ कि हम कुछ लिख पाएंगे इस पर… उनके शब्द::आपके रचनाधर्मिता हेतु एक बहुत संजीदा विषय दे रहा हूँ..... दीपोत्सव के...
View Articleकुछ इस तरह...!
अपनी बेचैनी काकारणखोज रही है...मन के कोने में बैठीअनचीन्हीएक भाषा...वह भाषाजो शायद कह पायेसबसे सुन्दर शब्दों मेंतुमसे...सुख दुःख की परिभाषा कि तुमबुन सको फिर अक्षरों से शब्दशब्द से भावऔर भावों मेंबह...
View Articleभाव भाषा का अद्भुत स्नेहिल नाता...!
सुने, समझे जाने वाले शब्द, आखर के जोड़ भर हैं...जो कह दी जाए, जो कहलवाए कोई, तो कविता हुई... ... ... !! ~ सुरेश चंद्रा ~कितनी सुन्दर बात कही गयी है इन पंक्तियों में... यही क्यूँ उनकी हर पंक्ति, उनके हर...
View Articleजीवन की डगर पर...!
रहता है कुछ अँधेरा ही... ठीक ठीक सुबह नहीं कह सकते, हाँ भाग रहा समय निश्चित ही घड़ी की सुईयों को सुबह की दहलीज़ पर ला खड़ा करता है... और घडी की सुईयों से ही तो नियंत्रित हैं हम तो सुबह तो हो ही जाती है...
View Articleश्रद्धा की राह में...!
ये किस द्वन्द मेंपड़ गए हम...कौन भक्तकौन भगवन...?श्रद्धा की राह मेंहोता है...दो अव्ययों काएक ही मन...कभी कृष्णपाँव पखारते हैं,कभी सुदामा कीआँखें नम...दोनों मेंभेद ही नहीं है,सखा भाव के समक्षसारे भाव...
View Articleकितनी ही बार ऐसा होता होगा...!
कितनी ही बार ऐसा होता होगा...हंसती हुई डगर पर मन रोता होगा... मन की अपनी दुनिया हैउसके अपने किस्से हैं...उसकी अपनी कहानियां है,वह अपनी मर्जी सेगम के प्याले पीता होगाकितनी ही बार ऐसा होता होगा...! संसार...
View Articleकुछ कुछ साकार...!
घाव भर जाते हैं...समय सब ठीक कर देता है...जीवन में बस एक मन का रिश्ता होतो बदल सकती है दुनियाइस कदरकि खुद अपनी नज़र मेंहम बदल जाते हैं...बेहतर हो जाते हैं...करने लगते हैं खुद से प्यारजीवन और जिजीविषा...
View Articleसदियों का ये नाता है...!
कहने को कितना कुछ है, और नहीं है कुछ भीकि बिन कहे ही हो जानी हैंसब बातें संप्रेषित हम नहीं समझ पाते कभीउन अदृश्य तारों कोजो जोड़ता है हमें...अनचीन्हे ही रह जाते हैंस्नेहिल धागेजो बांधते हैं हमें... हम...
View Articleकाश...!
बहुत अँधेरी है रात... आसमान में एक भी तारा नहीं... चाँद भी नहीं... हो भी तो मेरी धुंधली नज़रों को नहीं दिख रहा... बादल हैं इसलिए नीला अम्बर भी कहीं नहीं है...! दिन भर नहीं रहा उजाला तो रात तो फिर रात ही...
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