$ 0 0 ये किस द्वन्द मेंपड़ गए हम...कौन भक्तकौन भगवन...?श्रद्धा की राह मेंहोता है...दो अव्ययों काएक ही मन...कभी कृष्णपाँव पखारते हैं,कभी सुदामा कीआँखें नम...दोनों मेंभेद ही नहीं है,सखा भाव के समक्षसारे भाव गौण... आईयेमन की आँखों से देखते हैं-ये अद्भुत लीला,ये दिव्य आयोजन... और ये सत्य जान करमान कर...इसी क्षणहो जाएँ अभिभूत हम कि... ... ...श्रद्धा की राह में होता है,दो अव्ययों का एक ही मन... !!***कुछ एक शब्द... कुछ एक भाव... और वही 'प्रेरणा'जो लिख गयी यह पंक्तियाँ...'प्रेरणा'को नमन करते हुए, कह रहा है मन, भक्त और उनके भगवान की जय...!!!