अपनी बेचैनी का
कारण
खोज रही है...
मन के कोने में बैठी
अनचीन्ही
एक भाषा...
वह भाषा
जो शायद कह पाये
सबसे सुन्दर शब्दों में
तुमसे...
सुख दुःख की परिभाषा
कि तुम
बुन सको फिर अक्षरों से शब्द
शब्द से भाव
और भावों में
बह आये समाधान
कुछ इस तरह...
लेते रहते हैं
जीवनपर्यंत
हे जीवन!
हम
तुम्हारा नाम
जिस तरह!
अपने अनमनेपन का
कारण
खोज रही है…
बड़े आस से
भोली भाली
जिज्ञासा...
वह जिज्ञासा
जो अपनी आत्मीयता से
कर भावविभोर तुम्हें
कह जाए तुमसे...
जीवन है आशा
कि तुम
सुन सको फिर
अपने होने का संगीत
खिल जाए मन के क्षितिज तुम्हारे
पावन प्रात औ'प्रीत
कुछ इस तरह...
लेते रहते हैं
जीवनपर्यंत
हे जीवन!
हम
तुम्हारा नाम
जिस तरह!!