तुम्हारे लिए ही
अस्त हो रहा है...
कल तुम्हारे लिए ही
पुनः उदित होगा...
बस रात भर रखना धैर्य
ये जो अँधेरा है न...
बीतते पहर के साथ
यही उजाला पुनीत होगा...
ये जो डूबती हुई
लग रही है न नैया...
रखना विश्वास,
किनारे लगेगी...
सोयी हुई जो
लग रही है न किस्मत...
वह तुम्हारे पुरुषार्थ से
निश्चित जगेगी...
अपने लिए जितने दुःख दर्द
लिखवा लाये हैं हम विधाता से...
वह सब हमें
परिमार्जित ही करेगा...
बीत रहा है हर क्षण जीवन
समय रहते समझें, इसका महत्व हम...
ये आज है...
कल ये हमारा नहीं रहेगा!!!