यात्रा के कितने आयाम!
जिसे कल पर छोड़ा जाता है वो हमेशा के लिए छूट जाता है... बारिश ने स्क्वायरपर उतरने नहीं दिया और अगला दिन वैटिकन सिटी के नाम रहा. स्क्वायर पर समय बिताना नहीं ही हो पाया. और भी बहुत कुछ था जो छूटा पर अभी...
View Articleतुम्हें लिखते हुए...!
हाँ,मीठा पसंद नहीं हमें,पर तुम्हारीमिठास भरी बातेंबड़ी प्यारी लगती हैं...हमारे किसी पूण्य का प्रताप हैतुम्हारा साथ,तेरे आसपास खिलने वाली धूपसारी दुनिया सेन्यारी लगती है...जुदा-जुदा सा हैएक पल से हर एक...
View Articleपूजा के फूल!
मेहँदी से जुड़े कितने ही रंग हैं यादों के.…., सभी रंगों को खूब याद करते हैं यहाँ. पंजाबी लाईन, मानगो में गुजरा बचपन जमशेदपुर की यादों में सबसे ज्यादा जगमगाता है. ये वो समय था जब स्वर्णरेखा नदीपर केवल...
View Articleऐ दिल…!
हम में से हर कोई संवेदनशील है,बुराई की भर्तस्ना करता है,शांतिप्रिय है,है हम सबमें विवेक… फिर कहाँ से आते हैं वो लोगजो उन्माद फैलाते हैं?क्यूँ है इतना हाहाकार संसार में?कहाँ से आती है इतनी कटुता?क्यूँ...
View Articleकौन सा गीत गाऊँ मैं?
क्या क्या मुझे रुलाता है-इसकी एक सूची बनाने बैठूं तोसूची में सबसे पहले किसका जिक्र होगा…?दुनिया का?मेरी खुद की सीमाओं का?या फिर जीवन का?या सबसे पहले अपना वजूद प्रस्तावित कर,सूची में सबसे ऊपर…मुस्करा...
View Articleकुछ विम्ब इस शहर के!
स्टॉकहोम में हमारे साथ एक हफ्ते रहकर वापस लंदन जा रही थी अनामिका, एअरपोर्ट के लिए बस में बैठ चुकी थी और ये तस्वीर हमनें बाहर से क्लीक की थी…! ये ख़ुशी जो चेहरे पर झलक रही है यह मुझसे छुटकारा पाने की...
View Articleसौन्दर्य के प्रतिमान!
देश कोई हो, भाषा कोई भी हो, भावनाएं एक सी ही होती हैं. "वसुधैव कुटुम्बकम" का सिद्धांत सर्वोपर्री है! इस भाव की आत्मा से पहचान हो जाती है जब ये महसूस करते हैं कि हमारे दुःख एक हैं, हमारी खुशियां एक सी...
View Article"मैं आकाश देखता हूँ..."
बहुत देर से आसमान पर नज़रें टिकाये बैठे थे, चीज़ें जैसी हैं वैसी क्यूँ हैं, क्यूँ यूँ ही बस उठ कर कोई चल देता है जीवन के बीच से, समय से पहले क्यूँ बुझ जाती है बाती? इतनी सारी उलझनें है, इतने सारे...
View Articleबादलों से पटा अम्बर!
खूब बारिश हो रही है, आसमान पूरा काला है. इतना तो नहीं बरसता था यहाँ का आसमान.... कभी नहीं देखा इन दो तीन वर्षों में यूँ जब तब रोते हुए बादलों को. फुहारें आत थी, चली जाती थीं. एक झोंका आया, धरती तर हुई...
View Articleयादों के पथ पर चलते हुए...!
नीरव शान्ति है… ये कहाँ हैं हम. दो तारीखें अंकित है हर एक ठौर, एक तारीख है जन्म की और दूसरी तारीख है मृत्यु की... बीच में एक छोटा सी लाईन सी खिंची है… हाँ! हाईफन कहते हैं न इसे. ये दो तारीखों के बीच के...
View Articleसुन रही हो न, ज़िन्दगी!
यादों के पथ पर चलते हुएबहुत कुछ समेटा था मन में, उन्हें लिख जाने की इच्छा तो थी पर लिख पाना इतने समय तक संभव न हो सका. अब जैसे कलम को कोई जल्दी है, वह मन से अपने तार जोड़ कर अपना काम करने में व्यस्त...
View Articleतितली उड़ रही है बेपरवाह!
जीवन एक लम्बा रस्ता है, अनेकानेक संकेतों से युक्त एक ऐसी राह जिसपर चलते हुए हम अपनी अभीष्ट मंजिल तक आसानी से पहुँच सकते हैं, बस मार्ग में मिल रहे संकेतों को ठीक से पढ़ना है! अब संकेत तो संकेत होते हैं,...
View Articleएक ही समय पर दोनों बात होती है!
लिख जाने पर सुकून मिलता है, कह जाने पर मन हल्का हो जाता है लेकिन एक वो भी बिंदु है जब इतना उद्विग्न होता है मन कि न लिखा जाता है न कुछ कह पाने की ही सम्भावना बनती है... बस महसूस हो सकती है हवा की...
View Articleपरिचय के मोती...!
कई रातें जगे हुए बीतीं हैंतुम्हारी कविताओं के साथकई हजार शब्द तुम्हारेमेरे मन में उमड़ते घुमड़ते रहते हैं कितने ही आंसू साथ रोये हैं हम झांकना कभी बीते समय में फुर्सत सेतो जगमगा उठेंगे वो आंसू सच है...
View Articleबस एक क्षण ठहर, ज़िन्दगी!
जब शब्दों से ज्यादाउनके बीच कामौन बोलता हो...जीवन का रहस्यजब मन मेंबेचैनी घोलता हो,कोई एक भाषा मन कीतब मन में हीमुखर होती है...कह नहीं सकतेकिसके प्रताप सेकिसकी ज्योत प्रखर होती है! परस्पर होते हैंकुछ...
View Articleशब्द सेतु!
बहुत उदास है मन... धीरे धीरे सुबह हो रही है... आसमान में बादलों का जमघट है... वही कहीं थोड़ी लाली भी है...! क्या है अम्बर के मन में? आज वह सूरज के साथ उगने वाला है या बादलों के पीछे छुपे हुए वहीँ से...
View Articleशून्य से... शून्य तक!
विस्मित हो न?आखिर क्या नाता है...ये है क्या?जो जोड़ता है हमें...हमारे बीच...कितना "वाचाल"है न "मौन"!शब्दों में ये आत्मीयता घोलता है कौन...!विस्मय तो हमें भी होता हैहमारा मन भी तर्क वितर्कों में खोता...
View Articleआँखें हुईं सजल...!
पिछले वर्ष घर गए तो एक बचपन की डायरी साथ ले आये... इतने दिनों से पलटा नहीं यहाँ ला कर भी. अभी उसके फटे हुए पन्नों को पलटते हुए कितने ही वो पन्ने याद हो आये जो बस किसी को यूँ ही दे दिए... कि उन पन्नों...
View Articleशीर्षकविहीन!
पुरानी डायरी से एक और पन्ना... जाने किन मनःस्थितियों में कभी लिखी गयीं होंगी ये बातें किसी कागज़ के टुकड़े पर, फिर उतारी गयीं होंगी किसी शाम डायरी के पन्नों पर... आज यहाँ भी लिख जाए कि मन का मौसम फिर...
View Article"ईश्वर, मेरी कविताएं, शीर्षक विहीन हैं!!"
कई अधूरे ड्राफ्ट्स पड़े हैं, जिन्हें पूरा करना है... लिख जाना है कुछ भावों को, कुछ स्मृतियों को, कुछ विम्बों को... पर अभी शायद समय लगेगा उन एहसासों को पृष्ठ तक आने में...! मन अभी तेरह वर्ष पुरानी डायरी...
View Article