हाँ,
मीठा पसंद नहीं हमें,
पर तुम्हारी
मिठास भरी बातें
बड़ी प्यारी लगती हैं...
हमारे किसी पूण्य का प्रताप है
तुम्हारा साथ,
तेरे आसपास खिलने वाली धूप
सारी दुनिया से
न्यारी लगती है...
जुदा-जुदा सा है
एक पल से हर एक दूसरा पल,
तुझ संग बितायी घड़ियाँ
समय के आँचल में
सुनहरी धारी लगती है...
कुछ भी अपना नहीं जहाँ
जीवन के घमाशान में,
वहाँ चंद अनमोल बातें तेरी
आसमान में इन्द्रधनुष सी
चित्रकारी लगती है...
आगे निकल जाने पर
ग़र पीछे मुड़ने का मौका देगी ज़िन्दगी,
तो देख यही निशान कहेंगे...
अरे! ये परछाईयाँ तो
हमारी लगती हैं...!
Anamika, Thanks for the click!
कविता पुरानी , तस्वीर नयी!