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Channel: अनुशील
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शब्दों की प्रेरणा, प्रेरणा से उपजे शब्द!

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"अपना ख्याल रखना"... आत्मीयता से पगे आपकेये स्नेहपूर्ण शब्द प्रेरणा बन कर बहुत कुछ लिखवाना चाहते हैं... पर कलम चुप सी है...! अचानक अभी आधी नींद में लिखा गया यह... कविता तो नहीं है... यूँ ही कुछ है, आधी जागी आँखों द्वारा बुना गया ताना बाना!
इस ताने बाने में... उन शब्दों भावों की भी प्रेरणा है... "स्नेह-आशीष सहित... शुभ... मंगल... सर्वदा... ... ... !!"आपने हमें हमारे जन्मदिन पर ये शब्दाशीश दिए थे, याद तो होगा ही न...!
शब्द जब भाव से बंधे हों तो भाषा से परे हो जाते हैं... फिर वो हो जाते हैं साक्षात प्रेरणा... पढ़िए अब जो लिखवा गयी आपके शब्दों और आशीषों की प्रेरणा...


यूँ ही कुछ कहना है हमें...
बेचैन सा है मन
पर फिर कहीं चुप चुप सा
खामोश भी...


लगा कि
पहला अवकाश मिलते ही लिख जायेंगे
वह सब जो लिखा जाना शेष है
कह जाने को
मन में कितने ही
स्मृतियों के अवशेष हैं



पर
अवकाश है कहाँ
और अब तो शब्द भी नहीं है
हम हैं कहीं
और आजकल
हमारी कलम और कहीं है 


बड़ी आत्मीयता से
कह जाता है कोई
"अपना ख्याल रखना"
तो बस मन भर आता है
हो न हो
ये आवाज़ हमारी अपनी है
इस आत्मीयता से हमारा
सदियों पुराना नाता है 



वो नाता जो साथ रोती आँखें
पल में बना लेती हैं
यूँ ही घट जाता है अँधेरा
सांझ यादों के दीप जला लेती है 


बातें हो... या कि हों रहस्य...
सब कहाँ हमें ज्ञात हैं
मन के आकाश पर उगने वाले चन्द्र अरुण
सदियों से अज्ञात हैं 


उन्हें जान लेने के उपक्रम में

सदियाँ खोती हैं 

पहेलियाँ गढ़ती भी वही है सुलझाये भी वही
सुख दुःख की गति नियति के हाथों होती है 


राह बड़ी संकरी भी है

और जीवन 

बहुत छोटा है
कहीं कुछ भी पूर्णरूपेण निर्दोष नहीं 

हम सबकी जेब में 

कोई एक न एक सिक्का तो है ही जो खोटा है 


इसमें बेवजह
तर्क वितर्क को
क्यूँ जगह दी जाए
आईये आज धूप में हो रही
इस बारिश में भींगें हम
और भींगते हुए बात कोई अनूठी की जाए... !!


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