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सिसकियों के उस पार!

एक बहुत पुरानी रचना... उसीपुरानी डायरी से: :


मंजुल मोती की माया से
चमक उठा संसार...
हम चमके सहेज कर
अपने अश्रुकण दो चार! 


आसमान की लाली देख
चहक उठा संसार...
हम चहके पाकर
अपनी वसुधा का प्यार! 


हरियाली के आलम में उपवन संग
महक उठा संसार...
हम महके पाकर
मानवता का आधार! 


परिवर्तन की लहर में
शीशे की तरह चमक उठा संसार...
हम चनके उर के साथ चले अब
सिसकियों के उस पार! 


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