तुम्हारे प्रताप से... !!
आस की नैयाबहुत चली है तूफ़ानों मेंये अब है कि थकी हारी बैठी है...सुस्ता ले कुछ पलक्या पता फिर से चल पड़ेगी ये सहज होता जाता है...नाव का किनारों से भी कोई तो नाता है... हो सकता है ऐसा भी...होता ही है--कुछ...
View Articleखुद से ही रूठना है... !!
शोर और मौन काजाने ये कैसा गणित...रुक गया हो धमनियों में जैसेबहते हुए शोणित...कुछ तो टूटा है ऐसाजिसका शोर मौन में ध्वनित है...बिखरे काँच के टुकड़ों मेंटूटी हुई आस प्रतिविम्बित है...चुनते चुनते बिखरनफिर...
View Articleअच्छा है रंग ग़मगीन ही... !!
ये सफ़र लम्बा है,अंतहीन भी...खुशियाँ छलती हैं,अच्छा है रंग ग़मगीन ही...इतना दर्द होकि कई दर्द स्वतः भूल जायें...कभी जो सुख के पल होंवे बस यादों में मुस्कायें...पाँव के छाले होंया मन की दरारें हों...पीड़ा...
View Articleजिजीविषा के तीरे, उगता रहे सुकून... !!
अक्षर अक्षर हो सुकूनजैसे स्वर लहरियों में तैरता राम धुन...अपनी दिशा पा जायेगामन, सुन कभी अपनी भी आवाज़ सुन... नहीं ज़ख्मी होंगे पाँवकुछ दूर के कांटे तो तू ले चुन... यहाँ के अजब हैं तौर तरीकेदुनिया है,...
View Articleकुछ शीर्षकविहीन टुकड़े... !!
अपने ही स्वभाव के ही कारणछले जाते हैं हम...ह्रास के ऐसे माहौल से उम्मीद भी क्या करनी...भावनाओं का मान रखा जाना तो बीते समय की बात है...अब सर्वोपर्री अगर कुछ है तो स्वार्थ है... ऐसी अजीब स्थिति मेंअपने...
View Articleशीर्षकविहीन... !!
खुद को ढूंढ़ते हुएबहुत दूर निकल आये थे...कुछ कवितायेँ मिली हमें राह में...उन कविताओं को सहेज लाये हैं... !शायद एक दिनमिल जाये हम भी खुद कोऐसे ही किसी खोयी कविता की तरह...पर हमें पता है...ऐसा ही...
View Articleप्रतीक्षा... !!
देहरी पर एक दीप जलाया...मन के कोने में लौ जगमगाई...ऐसा भी होता हैहो भी और न भी हो तन्हाई... !सूरज नहीं गगन में...चाँद तारे भी नहीं...सबको कर विदा खाली तो है आसमान...सूरज को तरसती धरती होगी न कहीं......
View Articleएक दिन छूट जाना है खुद से ही... !!
छूटते हुए दृश्यों की तरह...एक दिन छूट जाना है खुद से ही...इतनी छोटी सी है ये ज़िन्दगीऔर अनंत हैं राहें...जहाँ से गुज़र रहे हैंफिर शायद ही कभी गुजरें... !प्रबल हो सकती है चाहलौटने कीपुनः उस राह तक... होगी...
View Articleकभी श्वेत भी था, इस बार स्याह है दिसम्बर... !!
एक वो दिसम्बर थाबर्फीली सफ़ेदी से नहाया हुआएक ये दिसम्बर हैधुंध, उदास बारिश और स्याह रंगों से भरा...तब कितना सुन्दर था दृश्यबर्फ़ के फ़ाहों से पटी थी धराअब फुहारों की बाहों मेंनमी को है उसने...
View Articleएक रोज़ ऐसा भी आये...
बादल... धूप... पवन...बारिश... छाँव... सिहरन... प्रार्थना... दीप... वंदन...समर्पण... बाती... चन्दन...ये सब सफ़र के साथी हैं...ज़िन्दगी इन्हें अपना सगा बताती है...राही के साथ चलते हैंये हमें ढालते हैं,...
View Articleउस एक विम्ब में...
ज़िन्दगी सफ़र...गुज़रते पहर...पीछे छूटते एक के बाद एक शहर...समय के साथसब ठौर ठिकानेविस्मृत हो जाने हैं... एक ही है विम्बजो स्मृतियों में अंकित होहमेशा के लिए जायेगा ठहर...उस एक विम्ब में परिलक्षित...
View Articleयहाँ आँखों से ओझल हर दृश्य अनमना है !
नदी नदी पर्वत पर्वतमन अन्यमनस्क जड़वत चलता जाता है उदासहमें कहाँ उसकी सतह का भी अंदाज़ कब डूब जाएकब वहां सूरज उग आये मन के क्षितिज परकितने तो बादल हैं छाये कोहरा भी घना हैंयहाँ आँखों से ओझल हर दृश्य...
View Articleसिये जाने को कितना कुछ शेष था... !
धागे नहीं थे शेष...सिये जाने को कितना कुछ शेष था...आँखों में गंगा यमुना थीदूर सपनों का देश था...जाने क्यूँ ऐसा ही अक्सर होता है...धागे छूट जाते हैं...चलते चलते पता ही नहीं चलताकब सपने रूठ जाते...
View Articleतुझसे कितने हम अनजाने... !!
सो कर बीते या जाग कर,रात बीत ही जाती है...पर रौशनी हमेशा कहाँ हाथ आती है... !!यूँ ही उजाला भरमाये है...उलझा उलझा प्रश्न एकउगा हुआ यूँ मिल गया रात के साये में--क्या बीत कर वह हमेशा सुबह की दहलीज़ तक...
View Articleहम थे, हैं, रहेंगे अजनबी... !!
अंततः तोसचमुच कोई किसी का नहीं...सब साथ हैंपर हैं तो अजनबी...अपनी अपनी राहचले जा रहे हैं...यूँ ही दो बातें हो गयींज़िन्दगी से कभी...पर सच हैहै तो वो अजनबी...ज़िन्दगी हठात हाथ छुड़ा कर चल देती हैकठोरता...
View Article... फिर, खो जाना... !!
जब टूटने लगेंसहज से सिलसिले... जब जुटने लगें गम... बिखरने लगेंएक के बाद एक टुकड़ों में हम... तब थमनाथामना... रे मन !ख़ुशी ख़ुशी करनाकटु यथार्थों का सामना...तट पररेत से लिखना मिटाना...जीवन कुछ नहीं बस क्षण...
View Articleअभी सदियों और चलना है... !!
शब्द कई बार बहुत कठोर होते हैंऔर उनकी कठोरता तब और असह्य होती हैजब वो शब्द किसी अपने ने कहा होजो खूब प्रिय रहा हो... !कितना रोयेकितने आंसू खोयेतब जाना--वो इतना कठोर हो पायाजो भी कहा, वह ऐसी निर्ममता से...
View Articleबूंदों का दिलासा... !!
ये अंतहीन सफ़र...दृश्य बदलते हर घड़ी, हर पहर...देखा हर रंग का हरा...प्राकृतिक हर रंग था खरा...आसमान पूछ रहा था बड़े स्नेह से..."कहो, कैसी हो धरा... ?!!"क्या कहती ??वो भावविभोर थी... !आसमान ने हाल पूछा...
View Articleये लम्हा वक़्त की शाख़ से टूट रहा है... !!
वोकोई ठोस आकार नहीं था...जिसे छूकर महसूस किया जा सके... वो थीबस एक याद ही...जो मुस्कुरा रही थीअरसे बाद भी...ये लम्हा वक़्त की शाख़ से टूट रहा है...हर क्षण अपना ही एक अंश हमसे छूट रहा है...ये सब कहीं न...
View Articleजीवन आलोकित रहेगा स्वमेव... ... ... !!
कवि...तुम्हारी रचनाओं में वो अनूठा संसार हैजहाँ जितना भी हताश पहुँचेंकोई न कोई सिरा अपना सा मिल जाता हैशब्दों के झिलमिल प्रकाश में मन का आँगन खिल जाता हैतुम नहीं जानते कितनी आँखों का चमक हैं तुम्हारी...
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