$ 0 0 ज़िन्दगी सफ़र...गुज़रते पहर...पीछे छूटते एक के बाद एक शहर...समय के साथसब ठौर ठिकानेविस्मृत हो जाने हैं... एक ही है विम्बजो स्मृतियों में अंकित होहमेशा के लिए जायेगा ठहर...उस एक विम्ब में परिलक्षित होंगेयादों के कई शहर... !हमें पता है...हर शहर से जुड़ी होगीतुम्हारी हीकिसी न किसी कविता की याद... जहाँ गए वहां रोप आये हम बीज रूप मेंसाथ चलने वाली कविताओं कोकि वे रहे वहां हमारे भी बाद...चमकती होंगीं उनकी सुषमा अब भी स्नेहिल धूप में...यात्रा के पड़ावों को याद करते हैं हम कभी ऐसे भी रूप में... !!