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Channel: अनुशील
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एक रोज़ ऐसा भी आये...

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बादल... धूप... पवन...
बारिश... छाँव... सिहरन... 


प्रार्थना... दीप... वंदन...
समर्पण... बाती... चन्दन...


ये सब सफ़र के साथी हैं...
ज़िन्दगी इन्हें अपना सगा बताती है...


राही के साथ चलते हैं
ये हमें ढालते हैं, हममें ढलते हैं 


चलते-चलते
ढलते-ढलते 

एक रोज़ ऐसा भी आये...

हम बादल, धूप, पवन हो जायें... !!


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