$ 0 0 जब टूटने लगेंसहज से सिलसिले... जब जुटने लगें गम... बिखरने लगेंएक के बाद एक टुकड़ों में हम... तब थमनाथामना... रे मन !ख़ुशी ख़ुशी करनाकटु यथार्थों का सामना...तट पररेत से लिखना मिटाना...जीवन कुछ नहीं बस क्षण भर का टिमटिमानाफिर, खो जाना... !!