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Channel: अनुशील
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तुझसे कितने हम अनजाने... !!

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सो कर बीते या जाग कर,
रात बीत ही जाती है...


पर रौशनी हमेशा कहाँ हाथ आती है... !!


यूँ ही उजाला भरमाये है...


उलझा उलझा प्रश्न एक
उगा हुआ यूँ मिल गया रात के साये में--


क्या बीत कर वह हमेशा सुबह की दहलीज़ तक पहुँचाती है... ??
या रात ठहरी रहती है वैसे ही दिन भर
हमारे सिरहाने... ??


किसी न किसी बहाने... !


ज़िन्दगी, तुझसे कितने हम अनजाने... !!





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