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Channel: अनुशील
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जीवन आलोकित रहेगा स्वमेव... ... ... !!

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कवि...


तुम्हारी रचनाओं में वो अनूठा संसार है
जहाँ जितना भी हताश पहुँचें
कोई न कोई सिरा अपना सा मिल जाता है
शब्दों के झिलमिल प्रकाश में मन का आँगन खिल जाता है


तुम नहीं जानते कितनी आँखों का चमक हैं तुम्हारी रचनायें
कितने आकाश समाहित किये हुए हैं तुम्हारी जीवन की विवेचनायें


यहाँ ईर्ष्या द्वेष का कारोबार है
पर जानना यहीं तुम्हारे पाठकों का भी उज्जवल संसार है


और तुम्हारी रचनाओं से ही नूर है इस उज्जवल संसार की आँखों में


ये दोष दंश देखने वाली आँखों पर निश्चित ही भारी हैं...
तुम्हारी रचनायें जीवन मूल्यों की प्रभारी हैं...


प्रिय कवि...
ऐसे ही रहना सदैव...

जीवन आलोकित रहेगा स्वमेव... ... ... !!

*** *** ***

सुरेश जी, हमेशा की तरह हमें हमारी धृष्टताओं के लिए क्षमा करते रहिएगा... बनी रहे कविता... बना रहे शब्द भाव का सान्निध्य हमेशा हमेशा... !! 





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