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Channel: अनुशील
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यहाँ, इस ठौर, सभी तमाशाई हैं!

खिड़कीखुलती है समंदर की ओरसमंदरजिसे छिपा लिया हैसामने फैले हरेपन नेदूर बादलों का जमघटअठखेलियाँ कर रहा हैबरस रहा है आसमानएक घर वहाँक्षितिज से लगेमुस्कुरा रहा हैसूरज का उगना-डूबनावह निर्निमेष कब सेनिहार...

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प्रार्थना

रिश्तों में अपनापन होसदा ही नमी रहेभावाकाश परकभी न चाँद सितारों की कमी रहेखुलते-खुलते जीवन के तमाम रहस्यखुलते चले जाएँवैसे ही जैसे तमाम परतें खुलतीं हैं एक के बाद एकशनैः शनैःऔर कृतकृत्य कर देती हैं!मन...

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आसमान देखते हुए

आसमान देखते हुएकितना कुछ उमड़ता-घुमड़ता हैबादलों की चित्रकारीअनायासमन में उतर आती हैसिमटा हुआ मनफिर आसमान हो जाता हैकोई-कोई क्षणअपने बीतने मेंकभी-कभीकितनामहान हो जाता हैकिउस एक क्षण की स्मृति...

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प्रगल्भता की ओर

यात्रा मेंटिक कर खड़े होने कोजैसे हैंउससे बड़े होने कोछाँव की परिभाषा आनी चाहिएधूप की उजली आभा भीमन ही मन हिय में बसानी चाहिएकिधूप-छाँव के खेलबाहर जितने निर्दयी हैमन के भीतर भीवैसी ही निर्ममता बरतते...

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साक्षी

तारों भरे आसमान मेंएक तारे पर नजर टिकाये गुजरी रातरिश्तों काअलौकिक ताना-बानाबुनती हैकिहम अकेले नहीं हैंकिहमारा क्षण-क्षण का संघर्षहमारे प्रतिपल के संकल्पहमारे हमराह हैंऔरवह ताराहमारी जूझन-टूटन का साक्षी!

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आँचल में सिमटे यात्रा के फूल

यात्रारत हैं सभीभागते बादलगति की व्याख्या हैंपर्वत की अपनी यात्रा हैअचल खड़ा वहकितने ही फूलों का घर हैकितने ही हरेपन का गेह है वहहमने देखासाक्षात नेह है वह!स्वीटज़रलैंड, २०१७

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कितने-कितने छल

रिश्तों में इतना छल हैनिहित स्वार्थों का पूरा दल-बल हैऐसे में चल ज़िन्दगी तू कैसे चलती हैहर क्षण यहाँ प्रतिबद्धताएँ बदलती हैंआँखों में जो पानी है उसकी अलग कहानी है नसों में दौड़ते लहू की थिरकन थम जाती...

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पीड़ा का अर्थशास्त्र

मृत्युतुल्य कष्टों काएक अंतहीन सिलसिला हैज़िन्दगी!तू बस दुःख-दर्द कीएक अदद शृंखला हैइस शृंखला के बिनातुम तुम नहीं हो और हम भी हम नहीं किदुःख हीहमसे हमारी पहचान कराते हैं!प्रार्थना में बहते आँसू के मूल...

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समझावन के कितने मंत्र

ख़ुद को ओढ़ाख़ुद को ही बिछा लियाअपना कंधा ही था रोने के लिएउसी को आधार कियाइस तरह हमने रात के समंदर को पार कियाजब बहुत अकेला पाया ख़ुद कोस्वयं ही अपने मन को हृदय से लगा लियासमझावन के अपने गढ़े हुए...

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जून की आख़िरी शाम

धूप उतर रही थी भीतरबाहर उमस भरी छाँव थी सब अपनी तरह सेअपनी-अपनी दिशा मेंगतिमान थे वक़्त कहीं ठहर गया थावैसे ही जैसे पेड़ों की डालियाँ अनासक्त स्थिर सी थीं हवा थमी हुई थी ऐसे में जो दीप जलाते तो एक ही...

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उचटे हुए समय में

सुबह की उजासकुछ मौन प्रार्थनाएँ प्रतिबिंब में परिलक्षित स्पंदनतट पर बैठे जीवन कीघोर यातनाएँ सबचलते कदमथाह रहे हैंउचटे हुए समय में भीजो विशुद्ध प्रवाह रहे हैं !

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आत्मालाप

ज़िन्दगी नेनग्न सत्य दो टूक शब्दों मेंकह दियामन-वचन-कर्म सेहमें और भी विपन्नकर दिया हमवास्तविकता देख-सुन बिफर गएमन-प्राण ठगे से थेजाने सारे मूल्यकिधर गए ऐसे मेंहमें टूटता देखज़िन्दगी ने ही...

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रिश्तों के बियाबान में लहुलूहान चेतना

अभी शोक में हूँ।हर रिश्ते की एक उम्र होती हैउसके बाद उसका मरना तय हैमैंने ऐसे कई मरे हुए रिश्तों का श्राद्ध किया है अभी शोक में हूँ।---शोक कैसा?!हर रिश्ताएक रोज मर ही जाता हैभले कितना ही अनन्यक्यों न...

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एक जीवन यात्रा और उसमें कितनी यात्राएँ

अटक जाती है साँस कभीकभी जीवन भी अटक जाता हैअटकी हुई बात कोईघुटन हो  कंठ में ही नहीं रोम-रोम जब रुदन हो  ऐसे मेंबस बेवजह कहीं भटक पाने कीसहूलियत दे ज़िन्दगी और इस बेवजह मेंकोई वजह निकल आएयात्रारत चेतना...

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दुःख का अंधकार ठहरा ही रहेगा!

टिमटिमाती रौशनीगुजरता हुआ सुख हैफैला अंधकारठहरा हुआ दुःख हैइस अंधकार मेंदीप जलाने कोमाचिस की तीली टटोलता मनआस-विश्वास की ओर उन्मुख हैठहरे हुए पानी मेंकंकड़ फेंकजैसे हलचल कर जाते हैं अनजाने ही अबोध...

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सागर की बाहों में असंख्य लहरें हैं

सागर की बाहों मेंअसंख्य लहरें हैंऊपर से है शांत भलेभीतर घाव गहरे हैंवो लहरों का बार-बारकिनारों से टकरानाउनका हुनर हैवे भी जानती हैंकि उनकी गति परअसंख्य पहरे हैं अपनी सीमा में ही रहकरछू लेंगी आसमाननिखर...

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बारिश होगी

पेड़ों का होना हरेपन के नये अर्थ गढ़ेगापहाड़-सी उलझनें धुल जाएँगीबारिश होगी।सौंधी मिट्टी की ख़ुशबू में जीवन ढ़लेगाबंजर भूमि की सकल दरिद्रताएँ भुल जाएँगीबारिश होगी।गगन मही के ललाट की लकीरें पढ़ेगा दुःख...

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अँधेरे में

हर वो शक्तिजिसे बाती होने का गौरव हासिल हैउसे प्रणाम हैजलना ही होगाकि चहुँ ओर अँधेरा बहुत हैआख़िर जलना बातियों के ही नाम है

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टूटन का सौंदर्य

टूट-फूट का भी अपना सौंदर्य हैअवशेष अपने आप में काव्य हैजिन्हें ज़िंदगी ने ख़ूब तोड़ा है क़दम-क़दम परवे बेहतर समझते है जीवन का मर्म ऐसे ही लोगों का एक छोटा सा कुनबा होता हैजो लोगों की राह के काँटें...

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आह

डूबता रहा मनभींगता रहा मनहर बारबार-बारज़िन्दगी की थाह में!यूँ हीउठते-गिरते चलते रहे हमकभी मुस्कान लिए आँखों मेंकभी लिए हुए आँखें नमपथरीली जीवन राह में!रिश्तेऔर रास्तों केसारे समीकरणसिमट आयेअपनी एक कराह...

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