आते रहे बादल, गाते रहे बादल
एक के बाद एकआते रहे बादलअपनी धुन में दुःख के रागगाते रहे बादलफिर खूब बरसेहम ज़रा सी हँसी को बेतरह तरसेफिर हमनेबादलों की तरहदुःख को ही गीत बना लियाहमारे हिस्से की मुस्काने अब हमारा दुःख मुस्कुराता हैयूँ...
View Articleचलते-चलते
कहते-सुनतेदुःख-दर्द बिसर जाते हैंचलते-चलतेहम यहाँ-वहाँ ठहर जाते हैंतबमौन बोलता हैजीवन अपने होने के अर्थ खोलता है!
View Articleमौन की परिधि तक का दुर्लभ सफ़र
मौन की महिमाअपार हैजो यह भाषा आत्मसात कर ली जाएतो कहती भी हैसुनी भी जाती है अपने सबसे प्रभावी रूप में!मगरवाचालता के हम इतने आदी हैंकि मौन की परिधि तकपहुँच ही नहीं पाते किउस देहरी तक पहुँचने कीअपनी...
View Articleहे ईश्वर!
सबविनष्ट हो जाएफिर नया सृजन होएक ही तरह के दुःख सेआहत है मननये-नये दुःखों काहे ईश्वर! अब आगमन हो
View Articleवे हृदय की निधि हैं
पराश्रित होना हीदुःख है किखुशियाँपराश्रित नहीं होतींवे हृदय की निधि हैं वहीं सन्निहित भी बाहरी किसी अवलंब परटिका नहींख़ुशी का तारतम्य जो मन से होफिर कारवाँ कहीं रुका नहीं वगरनाजीवन बीत जाता हैदुःख जीत...
View Articleसूरज और दीया-बाती
वोडूबते हुएअपनी थातीबाती को सौंप गया।बाती नेमिट्टी की काया कोआधार कियाअंधियारे मेंरोशनी की नाव नेयूँ दर्द का सागर पार किया।
View Articleइतना आसाँ नहीं जीवन कहलाना
कुछ देर का जलनाफिरबुझ जानादिव्य हैप्रार्थनारत लौ-सादुर्लभ जीवन पानाक्षणिकता के सौंदर्य कोकर आत्मसात मुस्कुराना कर्कशताओं को झेलते हुएमृदुता कीवांछित मिशाल बन पाना सच, इतना आसाँ नहीं जीवन कहलाना !
View Articleहरेपन का गीत
सब रस्मेंनिबाही जातीं हैक्या स्याह क्या सुफ़ेदधरा पर प्रतिपल नयी-सी सुबहें आतीं हैंबादल अपने दल-बल संगनित रूप नया धरते हैंधरा के आँचल मेंहरी धारियों की सौभाग्यशाली उपस्थिति होइस ध्येय हेतु वे कितने...
View Articleछतरी का आस्माँ हो जाना
बारिश और छतरी का भीकैसा अद्भुत नाता हैजब बरसता है अम्बरतो छतरीहमारा आसमान हो जाती हैऐसे हीकुछ एहसास छतरी बनकरजीवन में हमेंतेज़ बारिश और तपती धूप से बचाएँ !कभी हम भी तोकिसी के टुकड़े भर ज़मीं के लिएहौसलों...
View Articleकि यात्राओं की अपनी महिमा है
उस शहर भींगते हुएभींगते शहर को देखा था बारिश साथ थीबूँदों का सान्निध्य था ज़िंदगीनमी को भीतर सींचतीनमी को जीती एक सरल रेखा थीकि यात्राओं की अपनी महिमा है कि रास्ते सीखाते हैं हमेंतमाम विकटताओं के बीच...
View Articleठूँठ और हम
टूट कर गिरे हुए ठूँठ नेहमें अपनी ही याद दिलाई टूटना, बिखरना, फिर भी बने रहनायही जीवन की सच्चाई कि आज टूटी हैंतो कल हरी भी होंगी प्राथमिकताओं के भँवर मेंबातें कुछ खरी-खरी भी होंगी ठूँठ होने की...
View Articleउनकी सूक्ष्म आपसी समझ को प्रणाम
बाती के संघर्ष कोअस्ताचलगामी सूर्यप्रणाम करता है अपने सारे उत्तरदायित्वनन्हें दीप को सौंपवह आश्वस्त हो प्रस्थान करता हैअकथ पीड़ा प्रकाशपूँज कीनन्हा दीप समझता हैअपनी शक्ति भर जलता हुआ आँधियों के ख़ौफ़...
View Articleमुड़ कर देखने का उसे अवकाश नहीं
रो लें जी-भर करसर दे मारें दीवारों परपरज़िन्दगी मजबूर है क्या ?!जो आँसू पोंछगीगले लगाएगी ?!अरे!वह तोअपनी धुन में चलती हैअपनी ही धुन मेंचलती चली जाएगी!मुड़ कर देखने का उसे अवकाश नहीं हमारा मन पढ़ ले ये...
View Articleकितनी मुस्कुराहटें!
नीले आकाश केअंतिम छोर की ओर ताकतीहरी टहनी की मुस्कुराहट को तस्वीर में उतारते हुएसूरज की किरणों नेहमें देख लियाकिरणें भी मुस्कुरा दींउनकी मुस्कुराहटें भी तस्वीर का हिस्सा हो गयींअबजब उस तस्वीर कोदेखते...
View Articleभ्रामक समीकरणों को जीतती मुस्कानें
सुख-दुःख के समीकरणभ्रामक थे मुस्कुराहटों के कोलाज़ नेभ्रम की उघरन कोभरसक सिया मस्कुराहटों के वे अनगिन बिम्बप्रकृति माँ ने हमेंसहर्ष दिया-खिलते फूलों के रूप मेंखिलती हुई धूप में खिले हुए अपने कई रोमांचक...
View Articleसंकल्पों का प्रताप
दुरूह यात्राओं कोसहजता से, तय करना हीसिफ़त होगीयह तो तय हैज़िन्दगी हर क्षण, एक नयीआफ़त होगीहमारे संकल्पों के बल पर हीउम्मीद का सूरज निकलेगाकभी तो सूकूँ मिलेगाराहत होगी
View Articleपिता के लिए
तुमअपनी आँखों की नमी मेंहमें रोता हुआ पाओगेविदा कर दोगे हमेंमगर हम वहीं कहीं छूटे हुए रह जाने हैंसदा के लिएतुम्हारे आँगन में जो चलना सीखाउस सीख के सहारेजीवन अरण्य की सकल दुर्गमता पार करेंगेहम हमेशा...
View Articleनिरुद्देश्य चलते चलना स्वमेव एक उद्देश्य है
निरुद्देश्य पैदल चलते हुएरास्ते-दर-रास्ते अपने पाँव से नापते हुएगति को आयाम मिलता रहाजितना चलते चले गएधूल पटे रास्तों परलगातारउतना हीअंदर की यात्रा मेंपैठ बढ़ती रहीचलते-चलतेपाँव चेतना शून्य होते गएपास...
View Articleसंभावनाओं का संसार
पल-पल मेंरंग बदलते नभ काजाने कहाँ ओर-छोर हैमन के आकाश मेंगूँजताअन्यान्य भावों का प्रगल्भ शोर हैज़िन्दगीप्रायः दिखती कुछ हैहोती कुछ और है तमाम कष्टों को जीते हुए हीकहीं वहीं मिलतीसमाधान की भी डोर है और...
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