$ 0 0 बाती के संघर्ष कोअस्ताचलगामी सूर्यप्रणाम करता है अपने सारे उत्तरदायित्वनन्हें दीप को सौंपवह आश्वस्त हो प्रस्थान करता हैअकथ पीड़ा प्रकाशपूँज कीनन्हा दीप समझता हैअपनी शक्ति भर जलता हुआ आँधियों के ख़ौफ़ पर विहँसता है किसंघर्ष की जीत सेनहीं प्रकृति को भी इंकार है दीप और सूर्य केपरस्पर कर्तव्य निर्वहन पर हीटिका सृष्टि का विस्तार है