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Channel: अनुशील
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संभावनाओं का संसार

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पल-पल में
रंग बदलते नभ का
जाने कहाँ ओर-छोर है


मन के आकाश में
गूँजता
अन्यान्य भावों का प्रगल्भ शोर है


ज़िन्दगी
प्रायः दिखती कुछ है
होती कुछ और है 


तमाम कष्टों को जीते हुए ही
कहीं वहीं मिलती
समाधान की भी डोर है 


और यही
ठीक यही
यही चमत्कार है 


जब बिलकुल ख़त्म हुई सी लगती है
तब भी उसमें संभावनाएँ अपार हैं 


ज़िन्दगी!
हो न हो तुम्हारे भीतर ही
मुक्ति का भी संसार है
भले ही दृश्यमान मात्र मँझधार ही मँझधार है!


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