$ 0 0 पल-पल मेंरंग बदलते नभ काजाने कहाँ ओर-छोर हैमन के आकाश मेंगूँजताअन्यान्य भावों का प्रगल्भ शोर हैज़िन्दगीप्रायः दिखती कुछ हैहोती कुछ और है तमाम कष्टों को जीते हुए हीकहीं वहीं मिलतीसमाधान की भी डोर है और यहीठीक यहीयही चमत्कार है जब बिलकुल ख़त्म हुई सी लगती हैतब भी उसमें संभावनाएँ अपार हैं ज़िन्दगी!हो न हो तुम्हारे भीतर हीमुक्ति का भी संसार हैभले ही दृश्यमान मात्र मँझधार ही मँझधार है!