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आते रहे बादल, गाते रहे बादल

एक के बाद एक
आते रहे बादल
अपनी धुन में दुःख के राग
गाते रहे बादल


फिर खूब बरसे
हम ज़रा सी हँसी को बेतरह तरसे


फिर हमने
बादलों की तरह
दुःख को ही गीत बना लिया


हमारे हिस्से की मुस्काने अब हमारा दुःख मुस्कुराता है


यूँ जीवन चलता चला जाता है !


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