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Channel: अनुशील
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हरेपन का गीत

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सब रस्में
निबाही जातीं है


क्या स्याह क्या सुफ़ेद
धरा पर प्रतिपल नयी-सी सुबहें आतीं हैं


बादल अपने दल-बल संग
नित रूप नया धरते हैं


धरा के आँचल में
हरी धारियों की सौभाग्यशाली उपस्थिति हो
इस ध्येय हेतु वे कितने करतब करते हैं


रात बीतती है, बीते
अब सुबह आए


धरती निर्द्वंद, अपने हरेपन के, गीत गाए!



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