$ 0 0 कुछ देर का जलनाफिरबुझ जानादिव्य हैप्रार्थनारत लौ-सादुर्लभ जीवन पानाक्षणिकता के सौंदर्य कोकर आत्मसात मुस्कुराना कर्कशताओं को झेलते हुएमृदुता कीवांछित मिशाल बन पाना सच, इतना आसाँ नहीं जीवन कहलाना !