ठोकरें थी, गिरना था, संभलना था
खाली पाँव पैदल चलना थाठोकरें थी, गिरना था, संभलना था खो गए पलों कोसमय की चट्टानों सेटकराते देखा वो लौट आने को विकल थेबादलों कोगहराते देखा मृत्यु के से क्षणों मेंजीवन कोपरचम सा लहराते देखा इन सबके बीच...
View Articleप्रतिबद्धता
इंतज़ार बुनते हुएआहटों का मंत्रोच्चार सुनते हुए लौ विकल थी किअँधेरे का दिखता नहीं था कोई छोर वो बुझने ही वाली थीकि इतने में खिली भोर! भोर का आनालौ के लिए आश्वस्ति थी किअब बुझ सकती थी वह इत्मीनान सेमन पर...
View Articleरास्ते शाश्वत हैं
सदियों का सफ़र थामुसाफ़िरलम्हे भर की आयुनियति से लिखवा लाये थेसो,लम्हा जीकर चले गएरास्ते शाश्वत हैंसदियों सदियों चलते चले गए.
View Articleतट, जीवन और वहीं कहीं हम
बारिश हो रही हैअकेला है समंदरकुछ एक पंछी तट पर बैठे हैंधाराएँ शांत हैंऔरजीवन चल रहा हैप्रार्थना का एक दिया अनवरत जल रहा है
View Articleजीवन
हर टहनी परभांति-भांति के दर्द का पहरा हैपरित्यक्त अनजान ठिकानों परकितना-कितना जीवन ठहरा है
View Articleकुछ यात्राएँ अपने ख़त्म होने के बाद शुरू होती हैं
यात्रा मेंकितने पड़ाव आते हैंकभी-कभीबीत जाने के बहुत बादकोई एक यादकोई एक तस्वीरमुस्कान टाँक जाती हैकुछ यात्राएँ अपने ख़त्म होने के बाद शुरू होती हैं.
View Articleकागज़ की नाव
बचपन बीत गयामानाअब यहाँ सब अनमना है मगरसोचो तोकागज़ की नाव बनाना कब मना है जो बन गयीतो चल पड़ेगी चल कर वहबीत गएनिर्दोष लम्हों तक ले जाएगीनाव कागज़ की हैबचपन के कोरे एहसास दे जाएगी उसे जीते हुएवर्तमान...
View Articleयथासमय सुबह होती है
बुरे सपने सेउचटी रात की नींदगवाह है अंधेरों की वह असमय जागनारात से सुबह के फासले कोऔर बड़ा करता है उस शून्य मेंघड़ी की टिक-टिक साफ़ सुनाई देती हैहर टिक-टिक के साथ बीतते हुए भीसमय जैसे ठहरा-सा होता है इस...
View Articleजीवन रमा रहे
हर क्षण नया होछोटी-छोटी खुशियों का आकाश वृहद होतारीखें सुखद यादों का ताना-बाना बुनती हुई विदा लेंजीवन रमा रहे.[[ मंगलकामनाएं ]][[ And, thus dawned 2018 ]]
View Articleसूरज
डूबते हुए भीखिल रहा था वो डूबते हुए भी सूरज ही थातो क्या हुआ जोअंधेरों से मिल रहा था
View Articleप्रकृति
समंदर कीकरुणानयनों में वाष्पितकोहरे मेंठिठुरती प्रकृति के अंक मेंजीवन की ऊष्मा परिलक्षितसब खेल विधाता केअपने आप में दक्षप्रगट कर देते हैं हमेंहमारे ही समक्ष !!
View Articleथमा हुआ प्रवाह
दृश्य थम जाते हैं जल का ठोस हो जानागति कोपुनः परिभाषित करता है किबर्फ़ीली सतह के नीचे भीजीवन पूर्ववत साँस ले रहा होता है. सागर का विस्तार हैलहरें नहीं हैं लहरों का शोर नहीं है जीवन है.
View Articleसफ़र की धूल
हो न होसफ़र की धूल हीआँखों का सुकून हैजीवनअहर्निश चलते चलने कीकोई अनाम धुन है.
View Articleसब समय की बात है
कई बारकई-कई दिन कुछ नहीं लिखा जाताउठते-गिरते हुए भी तोकितनी बार कुछ नहीं सीखा जाताकई-कई दिन उदास गुज़र जाते हैंतब कहीं से कोई ज्योत टिमटिमाती हैफिर बुझ जाती हैउगते-डूबतेदिन निकलता हैढल जाता हैकभी बड़ी...
View Articleशीर्षकविहीन
ईश्वरसकल रचनाओं का मूल भी,वही उनमें तल्लीन हैउसकीकृपादृष्टि के बिनाहम बिन पानी के मीन हैंरचनाएं कितना कुछ कह करमौन हो जाती हैंवे स्वभावत: शालीन हैंऊंचे उड़तेपंख पसारे भावों कीएक ठोस सहज सी ज़मीन हैमेरी...
View Articleवो खनक लौट आएगी
उन दिनोंमिलावट नहीं थीखनक वहसहज थीआजखोटा सिक्काहो चला है जीवनकुछ और नहींये परिवर्तन कीमार महज थीकल फिरवक़्त करवट लेगाखोट चलन के बाहर होगावो खनक लौट आएगीबिसार दिया जाएगाहर उस अलंकार कोजो व्यर्थ की सजधज थी!
View Articleसन्नाटा सा पसरा है
ज़िन्दगी सेउठापटक जारी हैसाँस लेना भीजैसे भारी हैसंशयों के झुरमुट मेंलम्हें बीत रहे हैंहम बूँद-बूँदपात्र से रीत रहे हैं अपना आप हीखुद से खो रहा हैआँखें निस्तेज़ बेसुध पड़ी हैंमन फूट-फूट कर रो रहा है शोर...
View Articleसमय का पहिया निर्विकार घूमता है
यादें, टीसें, दर्द, विदाईये हमारे घरों की इंटें हैंसमय का पहिया निर्विकार घूमता हैकि शून्य है सब उसकी परिधि में!
View Articleकाश!
गुज़रती हुईरेलगाड़ी की आवाज़ सेगूँज रहा है मेरा एकांतउस आवाज़ में कई स्वर शामिल हैंपटरियाँअपने दुःख गुनगुनाती हैंरेल पूरी कर्कश तन्मयता सेउस पर से गुज़र जाती हैअंधेरे बोलते हैंआवाज़ में अपना भी स्वर...
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