$ 0 0 ज़िन्दगी सेउठापटक जारी हैसाँस लेना भीजैसे भारी हैसंशयों के झुरमुट मेंलम्हें बीत रहे हैंहम बूँद-बूँदपात्र से रीत रहे हैं अपना आप हीखुद से खो रहा हैआँखें निस्तेज़ बेसुध पड़ी हैंमन फूट-फूट कर रो रहा है शोर भरे जीवन मेंसन्नाटा सा पसरा हैसंवाद बचे नहीं किसकी ओर देखेंअब बस अपना ही आसरा है जो ओझल हो गयीवो ज्योत हमारा सर्वस्व थीओझल हो मन-प्राण अँधेरा कर गयी इस रीतेपन में कैसेअपना बिखराव समेटेंएकाकी मन को वह गमगीन बयार और अकेला कर गयी !