$ 0 0 उन दिनोंमिलावट नहीं थीखनक वहसहज थीआजखोटा सिक्काहो चला है जीवनकुछ और नहींये परिवर्तन कीमार महज थीकल फिरवक़्त करवट लेगाखोट चलन के बाहर होगावो खनक लौट आएगीबिसार दिया जाएगाहर उस अलंकार कोजो व्यर्थ की सजधज थी!