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Channel: अनुशील
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शीर्षकविहीन

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ईश्वर
सकल रचनाओं का मूल भी,
वही उनमें तल्लीन है


उसकी
कृपादृष्टि के बिना
हम बिन पानी के मीन हैं


रचनाएं कितना कुछ कह कर
मौन हो जाती हैं
वे स्वभावत: शालीन हैं


ऊंचे उड़ते
पंख पसारे भावों की
एक ठोस सहज सी ज़मीन है


मेरी कविताएं
शीर्षकविहीन हुआ करती थीं
वे आज भी शीर्षकविहीन हैं !!


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