$ 0 0 कई बारकई-कई दिन कुछ नहीं लिखा जाताउठते-गिरते हुए भी तोकितनी बार कुछ नहीं सीखा जाताकई-कई दिन उदास गुज़र जाते हैंतब कहीं से कोई ज्योत टिमटिमाती हैफिर बुझ जाती हैउगते-डूबतेदिन निकलता हैढल जाता हैकभी बड़ी महत्वपूर्ण रही कोई बातफिर कोई मायने नहीं रखतीऐसा भी पल आता है!