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Channel: अनुशील
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ठोकरें थी, गिरना था, संभलना था

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खाली पाँव 

पैदल चलना था
ठोकरें थी, गिरना था, संभलना था 


खो गए पलों को
समय की चट्टानों से
टकराते देखा 


वो लौट आने को विकल थे
बादलों को
गहराते देखा 


मृत्यु के से क्षणों में
जीवन को
परचम सा लहराते देखा 


इन सबके बीच हमें 

दीपक-सा जलना था
ठोकरें थी, गिरना था, संभलना था 


बंद थे सब दरवाज़े जब
तब
थे कुछ झरोखे
जिनको अपने दर पर
आस-विश्वास के पूरे कुनबे को
ठहराते देखा


उसकी छवि
जल में तैरती हुई
धारा को
स्निग्ध कर रही थी
आसमान को धरती पर
उतर आते देखा 


शाश्वत होने के
दावे थे
सब के सब
बस छलावे थे
जो आये
सबको जाते देखा 


इन विडम्बनाओं को आत्मसात किये
हमें बर्फ़-सा पिघलना था
ठोकरें थी, गिरना था, संभलना था 









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