$ 0 0 गहन अँधेरे मेंतारों भरा आसमानदेख रहे थे उन्हें गिन-गिनविस्मित हुए जाते थेआसमान की समृद्धि पर तारों भरे आसमान कोदर्ज़ कर कविता मेंहमें उस क्षण की तस्वीर बनानी थीउस क्षण का आसमान हमेशा के लिए वहाँ बसाना था पर शब्द उतने थे नहींजितने आसमान में तारे थेहम निपट अकेलेऔर वे कितने सारे थे !हमने देखा--उनका टिमटिमाना प्रकाश वृत्त नहीं रचताउनकी पूरी जमात के होते हुए भी परिदृश्य वैसा ही काला रहता है मगर हमने महसूस किया--रौशनी की सहजातउनकी टिमटिमाहटटिमटिमाती आशा के प्रतिमान रचती हैकितने ही अँधेरे एकाकी क्षणों मेंकितने ही दिनमान रचती है तारों से पटे अम्बर कोअपना कहा जा सकता हैउन तारों से बारी-बारीबात किया जा सकता है उनके होने कोउन्हें तकते हुएजिया जा सकता है किहोते होंगे वहींपर हमेशा दिखते तो नहीं जो दिख रहे हैं तारेआशाओं के प्रतिमान सारे तो उन्हें दृश्य सासहेज लिया हृदयाकाश पर तारों वाला अम्बरजी उठा भीतर स्मृतियों मेंटिमटिमाते तारे कीधुंधली सी भी उपस्थिति क्षीण आशाओं के आकाश को सबल करेगीगहराते अन्धकार में भी रौशनी की सम्भावना प्रबल रहेगी ये तारों वाले अम्बर की बात हैसुबह दूर है बहुत कि अभी तो रात है.