$ 0 0 बचपन बीत गयामानाअब यहाँ सब अनमना है मगरसोचो तोकागज़ की नाव बनाना कब मना है जो बन गयीतो चल पड़ेगी चल कर वहबीत गएनिर्दोष लम्हों तक ले जाएगीनाव कागज़ की हैबचपन के कोरे एहसास दे जाएगी उसे जीते हुएवर्तमान स्पंदित हो लेगा भूत और भविष्य के बीच जोअपनी शक्ति भर तना है कागज़ की नाव बनाना आख़िर कब मना है!