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Channel: अनुशील
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कागज़ की नाव

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बचपन बीत गया
माना
अब यहाँ सब अनमना है 


मगर
सोचो तो
कागज़ की नाव बनाना कब मना है 


जो बन गयी
तो चल पड़ेगी 


चल कर वह
बीत गए
निर्दोष लम्हों तक ले जाएगी
नाव कागज़ की है
बचपन के कोरे एहसास दे जाएगी 


उसे जीते हुए
वर्तमान स्पंदित हो लेगा 


भूत और भविष्य के बीच जो
अपनी शक्ति भर तना है 


कागज़ की नाव बनाना आख़िर कब मना है!





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