तुम
अपनी आँखों की नमी में
हमें रोता हुआ पाओगे
विदा कर दोगे हमें
मगर हम वहीं कहीं छूटे हुए रह जाने हैं
सदा के लिए
तुम्हारे आँगन में जो चलना सीखा
उस सीख के सहारे
जीवन अरण्य की सकल दुर्गमता पार करेंगे
हम हमेशा
तुम्हारे घर के कोने-कोने में बसी
यादों में रहेंगे
और तुम
हमारा विश्वास बन
हमारी प्रेरणाओं का आधार रहोगे
अबोध पहले क्षणों सा ही
तुम आजन्म
हमारा संसार रहोगे!